तत्कालीन सक्ती एसडीएम इंद्रजीत बर्मन ने छत्तीसगढ़ लोक आयोग में पेश किया जवाब…कहा- जगदीश बंसल आर्थिक अनियमितता करने वाले प्रवृति का अपराधी…जानिए पूरा मामला

जांजगीर-चांपा::जाज्वल्य न्यूज़:: छत्तीसगढ़ राज्य लोक आयोग रायपुर मे हेमलता बंसल पति जगदीश बंसल के द्वारा किये गये शिकायत के संबंध मे जवाब प्रस्तुत करते हुए तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सक्ती श्री इंद्रजीत बर्मन ने बताया कि जगदीश बंसल मूलतः आर्थिक अनियमितता करने वाले प्रवृत्ति का अपराधी है।
आदिवासीयो की जमीनों को बेनामी खरीदना, सरकारी जमीनों को कूट रचना कर कब्जा करना, राजस्व विभाग के अधिकारियों जिसमे मुख्यतः पटवारी शामिल हैं से सांठगांठ करना, सरकारी या निजी जमीन को कूटरचना कर बेचना इसका पुराना धंधा है।
जगदीश बंसल स्टाम्प वेंडर है, इसके द्वारा स्टांप विक्रय करने का कार्य किया जाता है। उप पंजीयक एवं जिला पंजीयक जिसमे तात्कालीन उषा साहू जिला पंजीयक से सांठगांठ कर स्टांप ड्यूटी की चोरी करना, करोड़ो का व्यापार करते हुए आयकर की चोरी करना अर्थात किसी भी तरीके से आर्थिक लाभ प्राप्त करने हेतु सरकारी विभाग को आर्थिक एवं अन्य क्षति पहुॅंचाना इसका काम है। यदि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के द्वारा बंसल के द्वारा किये गए गैर कानूनी कार्यों की शिकायत या जांच करता है तो उस पर व्यक्तिगत आरोप लगाना एवं जगह-जगह उसकी शिकायत करना इसकी आदतों में शुमार है ताकि कोई इसके गलत कार्यों की जांच भी ना कर सके और ना ही इसकी शिकायत कर सके यह उन पर दबाव बनाने का काम करता है।
श्री इंद्रजीत बर्मन ने आगे बताया कि जगदीश बंसल अपनी पत्नि या घर की अन्य महिलाओं तक का इस्तेमाल शिकायतकर्ताओं को डराने धमकाने के लिये करता है। बात न मानने पर थाने में छेड़छाड़ का प्रकरण दर्ज करवाने से भी बाज नही आता है। ताकि इसके विरूद्ध कोई शिकायत या जांच करने से डरे।
आपको बता दे की हेमलता बंसल के द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य लोक आयोग रायपुर में किये गये शिकायत का जवाब देते हुए श्री बर्मन ने यह भी बताया कि जगदीश बंसल ने ग्राम पोरथा (डोंगिया) के शासकीय जमीन घास मद की भूमि 390/2 , 390/3 को कूटरचना कर निजी भूमि बताकर क्रय कर लिया था। प्रकरण क्रमांक 3 अ -19 / 73-74 के माध्यम से 0.49 डिसमील खसरा नं . 894/1 के माध्यम से शासन के द्वारा कोटवार को प्रदान किया गया था , परंतु इसी के प्रकरण क्रमांक 3 अ -19 / 73-74 का हवाला देकर अधिकार अभिलेख मे पहले जगदीश बंसल द्वारा विक्रेता का फर्जी तरीके से नत्थूलाल एवं मोजेलाल का नाम दर्ज करवाया था, फिर उसे क्रय कर लिया ।
इसी प्रकार उक्त जमीन जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी हुई है उसमे स्टाम्प ड्यूटी चोरी करने के उद्देश्य से उसे सड़क से 500 मीटर दूर बताकर 2,21,122 रूपये स्टाम्प ड्यूटी की चोरी किया है। उपरोक्त दोनों तथ्यों के आधार पर सक्ती थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।
जगदीश बंसल के विरुद्ध दोनों तथ्यों के आधार पर एफआईआर दर्ज होने के बाद सक्ती पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जिसे जगदीश बंसल के द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी किंतु माननीय उच्च न्यायालय ने उसका आवेदन खारीज कर दिया था।
जगदीश बंसल का काम ही कूटरचना करना है। सुप्रीम कोर्ट जाने से पूर्व भी जगदीश बंसल के द्वारा जिला पंजीयक जांजगीर के नाम से झूठा दस्तावेज तैयार कर सुप्रीम कोर्ट मे प्रस्तुत किया गया था। श्री बर्मन ने अपने जवाब में उसकी छायाप्रति भी संलग्न की है। इस संबंध मे जिला पंजीयक जांजगीर से जब जवाब लिया गया तो जिला पंजीयक द्वारा लिखित मे जवाब दिया गया कि जगदीश बंसल द्वारा ना ही कर उपवंचन जमा किया गया है और ना ही आवेदक द्वारा कोई सुप्रीम कोर्ट मे आरटीआई के तहत प्रस्तुत दस्तावेज 05.05.2018 को जारी किया गया है। इस प्रकार आवेदक ने सुप्रीम कोर्ट मे फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर दर्ज एफआईआर को निरस्त करवाया है और उस पर पुनराविलोकन के लिये पत्र जांजगीर कलेक्टर द्वारा विधि विभाग को पत्र क्रमांक 5352/सा.लि./2019 दिनांक 23.03.2019 को भेजा गया है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि जगदीश बंसल किस तरह के अपराधिक प्रवृत्ति का है। जब यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय मे कूटरचना कर दस्तावेज प्रस्तुत करके सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर सकता है तो आम आदमी कर्मचारी या अधिकारी को गुमराह करना कोई मुश्किल काम नहीं है।
उल्लेखनीय है कि जांजगीर कलेक्टर द्वारा जिला पंजीयक उषा साहू के पदनाम से दस्तावेज प्रस्तुत कर कूटरचना करने के लिये जगदीश बंसल के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी किया था किंतु जिला पंजीयक उषा साहू द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करवाया गया। क्योंकि उक्त सभी मामलों में जिला पंजीयक उषा साहू और जगदीश बंसल दोनों की गहरी सांठगांठ रही है।
श्री बर्मन ने छत्तीसगढ़ लोक आयोग से निवेदन किया है की जिला पंजीयक उषा साहू के कार्यकाल में स्टाम्प वेंडर जगदीश बंसल के द्वारा जितने भी सौदे किए गए हैं उनकी जांच करवाए तो करोड़ो रुपए के कर चोरी का मामला उजागर हो सकता हैं।
आवेदक ने शासकीय प्राथमिक स्कूल अखराभांठा मे बिना अनुमति के अपना नाम लिखवा दिया था। जिसे विकास खंड शिक्षा अधिकारी को बोलकर हटवाया गया था किंतु जगदीश बंसल के द्वारा पुनः अपना नाम लिखवा दिया गया था। जिसमे जांच उपरांत जिला शिक्षा अधिकारी सक्ती द्वारा एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।
श्री बर्मन ने आगे बताया कि जगदीश बंसल के कार्यालय को तोड़े जाने के संबंध में कुछ तथ्य है जिस पर प्रकाश डालना अति आवश्यक है। उक्त निजी कार्यालय शासकीय जमीन पर जगदीश बंसल के द्वारा 2015 में भवन निर्माण कार्य शुरू किया गया था। यह अतिक्रमण शासकीय भूमि में होने की जानकारी तात्कालीन पटवारी द्वारा तहसीलदार सक्ती को दी गई थी। जिसपर तहसीलदार द्वारा तुरंत स्थगन आदेश जारी किया गया था, किंतु जगदीश बंसल के द्वारा स्थगन आदेश का उल्लंघन करते हुये भवन बना लिया गया। बाद में तहसीलदार सक्ती द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए अंतिम आदेश जारी किया था। विधिवत देखा जाये तो जगदीश बंसल को उक्त आदेश के विरूद्ध धारा 248 के तहत अपील में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के पास जाना चाहिये था किंतु जगदीश बंसल नियम विरुद्ध पुनरीक्षण में अतिरिक्त कलेक्टर जांजगीर के यहां गया था। अतिरिक्त कलेक्टर ने प्रक्रियागत त्रुटि कर यद्यपि पुनरीक्षण स्वीकार कर लिया एवं पुनः सीमांकन का आदेश दिया था।
सबसे महत्वपूर्ण एवं ध्यान देने योग्य बात यह है कि जगदीश बंसल के पक्ष में अतिरिक्त कलेक्टर ने फैसला दिया था किंतु जगदीश बंसल फिर से नियम विरूद्ध पुनरीक्षण आदेश के विरुद्ध पुनरीक्षण आवेदन आयुक्त बिलासपुर के यहां पेश किया था। जिसे बाद में आयुक्त बिलासपुर द्वारा तहसीलदार के आदेश प्रकरण क्रमांक 190 ब-121/2015-16 को यथावत रखते हुए अतिरिक्त कलेक्टर के पुनः सीमांकन आदेश को निरस्त कर दिया था।
जिसके पालन में तहसीलदार सक्ती के द्वारा उक्त भवन को तुड़वाकर अतिक्रमण मुक्त किया गया था। जिसके बाद जगदीश बंसल ने पुनः नियम विरुद्ध पुनरीक्षण के विरूद्ध पुनरीक्षण में राजस्व मंडल गया। जिसमें राजस्व मंडल द्वारा नये सिरे से भू-राजस्व संहिता के नियमों के विपरीत सुनवाई करते हुए उक्त जमीन को निजी घोषित कर दिया।
गौरतलब है की जिस जमीन को शासकीय मानते हुये पटवारी एवं तहसीलदार द्वारा अतिक्रमण हटाने का आदेश पारित किया था, उस जमीन पर बिना जांच पड़ताल या सीमांकन जांच करवाये राजस्व मंडल अध्यक्ष सी.के. खेतान ने जगदीश बंसल से मिली भगत करते हुये उक्त भूमि को निजी घोषित कर दिया।
श्री बर्मन ने बताया कि उन्हें राजस्व मंडल अध्यक्ष श्री सी.के. खेतान के द्वारा गलत निर्णय पारित किए जाने पर शंका है। उन्होंने बताया की श्री सी.के. खेतान के द्वारा पद का दुरूपयोग करते हुये उन्हें अपने रायपुर स्थित आफीस में बुलाया और कहा कि तुम्हारे खिलाफ जांच करवा दूंगा तुम माफी मांग लो कि तुमने गलत किया है। श्री सी.के. खेतान ने श्री बर्मन के जवाब को स्वीकार ही नहीं किया एवं श्री बर्मन के द्वारा प्रस्तुत जवाब को वापस कर दिया और कहा कि अगली पेशी मे जवाब बदल कर दो हालांकि उन्होंने अपना जवाब नहीं बदला क्योंकि श्री बर्मन ने नियम के अनुरूप ही कार्य किया था।
श्री सी.के. खेतान के गलत मंशा को भांपकर नियम विरूद्ध अवमानना की सुनवाई के विरुद्ध श्री बर्मन हाईकोर्ट गए जहां हाईकोर्ट ने राजस्व मंडल की कार्यवाही पर स्थगन आदेश जारी किया दिया था, किंतु श्री सी.के. खेतान ने बंसल से मिलकर निजी रंजीश रखते हुये श्री बर्मन की सेवा पुस्तिका में जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को टीप दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया। जिसके विरूद्ध श्री बर्मन पुनः हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने पुनः श्री बर्मन के पक्ष मे श्री खेतान की कार्यवाही के विरूद्ध स्थगन आदेश जारी कर दिया। श्री सी.के. खेतान श्री बर्मन के खिलाफ किसी भी तरीके से कार्यवाही के लिये आमादा थे ।
हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद श्री सी.के. खेतान ने सदस्यों की जांच टीम का गठन कर दिया। जिसके सदस्य शासकीय अधिवक्ता के.के. सिंह ने तहसीलदार श्री शिव कुमार डनसेना से कहा कि यदि तुम तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सक्ती श्री इन्द्रजीत बर्मन के विरूद्ध बयान दोगे तो श्री सी.के. खेतान तुम्हारे विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं करेंगे। श्री शिवकुमार डनसेना तहसीलदार सक्ती ने यह जानकारी श्री बर्मन को फोन के माध्यम से दी। तीन सदस्यों के जांच टीम द्वारा जो जांच रिपोर्ट सौंपी गई है उसमें भी उक्त जमीन को शासकीय बताते हुए नियम के तहत की गई कार्यवाही बताया गया है।
इन सारे तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि जगदीश बंसल किस स्तर का जालसाज व्यक्ति है जो शासकीय विभाग के नियम कायदों के साथ खिलवाड़ कर शासकीय विभाग के अधिकारी, कर्मचारी के साथ सांठगांठ कर आर्थिक अनियमितता करता है और जो उसके विरुद्ध जांच करता है उसके खिलाफ जगह-जगह आरोप लगाते हुये शिकायत करते रहता है।
उल्लेखनीय है कि श्री सी.के. खेतान के आदेश जिसमें शासकीय जमीन को निजी कर दिया गया है उक्त आदेश के विरूद्ध पुनरीक्षण किये जाने का निर्णय वर्तमान मे कलेक्टर जांजगीर द्वारा लिया गया है एवं इसके लिये जांच अधिकारी वर्तमान अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सक्ती आईएएस रेना जमील को बनाया गया है।
झूलकदम रोड मे जगदीश बंसल का बंसल अपार्टमेंट है, जिसकी शिकायत मिलने पर जांच कार्यवाही की गई थी। जिसमे पता चला की बंसल के द्वारा तालाब के पार को पाट कर नगर पालिका सक्ती से रोड बनवा लिया है। अपार्टमेंट नियम विरूद्ध है कहकर तात्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी सक्ती के द्वारा जगदीश बंसल को नोटिस भी जारी किया था। किंतु सक्ती मे आर्थिक एवं राजनीतिक रसूखदार होने के कारण जगदीश बंसल ने बंसल अपार्टमेंट बनवा लिया।
बिना पंजीकृत बैनामा के सक्ती के राजा से जमीन क्रय कर लिया एवं अपने नाम करवा लिया और यहां भी इसके द्वारा स्टाम्प ड्यूटी की चोरी की गई है। इस संबंध मे भी सक्ती पुलिस के द्वारा एफआईआर दर्ज कर जांच की जा रही है। बंसल अपार्टमेंट का जब सीमांकन किया जा रहा था तब वहां सैकड़ों की संख्या में लोग खड़े हुए थे किंतु बंसल के द्वारा नैतिकता को ताक पर रखते हुये सक्ती थाने में अपनी पत्नि हेमलता से रिपोर्ट दर्ज करवाया गया कि शिकायतकर्ता संजय अग्रवाल द्वारा उसके साथ छेड़छाड़ किया गया है। सोचने वाली बात है कि जहां सैकड़ो की संख्या में लोग खड़े हों वहां पर शिकायतकर्ता हेमलता बंसल से छेड़छाड़ कैसे कर सकता है?
अपार्टमेंट के संबंध में वर्तमान में सक्ती थाना मे एफआईआर दर्ज कर सक्ती पुलिस जांच कर रही है। इसके अतिरिक्त कुछ महत्वपूर्ण तथ्य है जिसे श्री बर्मन ने माननीय लोक आयोग के संज्ञान में लाया है जिसमें जगदीश बंसल के द्वारा रामलखन गोंड़ के नाम पर 18 गांव में 10 हेक्टेयर भूमि बेनामी खरीदी की गई है जिसकी जांच आयकर के बेनामी विभाग रायपुर द्वारा की गई। शिकायत सही पाये जाने पर 10 हेक्टेयर जमीन को अटैच किया गया है तथा बंसल के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। जगदीश बंसल के द्वारा ग्राम मसनिया कला निवासी आदिवासी महिला बिसाहीन बाई की जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। जिसके संबंध में बिसाहिन बाई ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सक्ती के यहां 170 (ख) के तहत प्रकरण दर्ज करवाया है।
श्री बर्मन के द्वारा तात्कालीन समय मे सुनवाई प्रारंभ की गई तो जगदीश बंसल द्वारा उक्त प्रकरण को उनके कोर्ट से अनुविभागीय अधिकारी राजस्व जांजगीर के कोर्ट में स्थानांतरित करवा लिया गया था। जिसकी आज दिनांक तक अंतिम सुनवायी नहीं हो पायी है। मजबूरन आदिवासी महिला बिसाहिन बाई द्वारा अनुसूचित जनजाति आयोग रायपुर मे शिकायत दर्ज की गई थी। अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा शिकायत सही पाते हुये पुलिस अधीक्षक जांजगीर को आदेश जारी किया था कि जगदीश बंसल के विरुद्ध जांच कर एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही करे परंतु उक्त आदेश पर आज तक कार्यवाही लंबित है। यही तरीका है जगदीश बंसल का शासकीय विभाग मे अधिकारी समय पर कार्यवाही नहीं करते जिसका लाभ जगदीश बंसल उठाता आया है।
श्री इंद्रजीत बर्मन ने जगदीश बंसल के विरुद्ध जांच कर कड़ी से कड़ी कार्यवाही किए जाने का निवेदन करते हुए आग्रह किया है कि शासकीय अधिकारियों का मनोबल किसी की भी शिकायतों पर चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों ना हो कार्य करने के लिये ऊंचा रहे एवं हेमलता बंसल की शिकायत झूठी होने के कारण खारिज किये जाने का निवेदन किया है ।