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छत्तीसगढ़ की बेटी एक पैर से एवरेस्ट के प्रथम बेस कैम्प तक 5364 मीटर ऊंचे पहाड़ पर चढ़ाई करेंगी चढ़ाई, साथ में दृष्टिबाधित रजनी भी करेगी चढ़ाई।

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज::धमतरी की 14 वर्षीय दिव्यांग चंचल सोनी कांठमांडू से माउंट एवरेस्ट के प्रथम बेस कैम्प तक 5364 मीटर ऊंचे पहाड़ पर चढ़ाई करेंगी। जन्म से उनका एक पैर नहीं है।
साथ में 60 फीसद दृष्टिबाधित 21 वर्षीय छात्रा रजनी जोशी भी चढ़ाई करेंगी। दोनों एग्जेक्ट फाउंडेशन संस्था की छात्रा है।

संस्था की लक्ष्मी सोनी ने बताया कि 24 अप्रैल को काठमांडू में दिव्यांगों के हूनर को आगे लाने के लिए पर्वतारोहण का आयोजन किया गया है। इसमें दोनों छात्राओं का चयन हुआ है। दोनों ही छात्राएं प्रतिदिन 10 किमी पैदल चलती है। धमतरी के आसपास पहाड़ नहीं है। इसलिए रूद्री बराज के पथरीले रास्ते और चढ़ाव वाले स्थानों पर पर्वतारोहण का अभ्यास कर रही है।

बच्चे लंगड़ी कहकर चिढ़ाते थे और साथ में नहीं खेलाते थे

चंचल सोनी ने नईदुनिया को बताया कि जब वे काफी छोटी थी, तब वे अन्य बच्चों के साथ खेलना चाहती थी। एक पैर नहीं है इसलिए कोई भी बच्चा उन्हें अपने साथ नहीं खेलाना चाहता था। उसे बच्चे लंगड़ी कहकर चिढ़ाते थे। जन्मजात एक पैर नहीं होने के कारण परिवार के सदस्य लोग हंसेंगे सोचकर घर से बाहर नहीं निकालते थे।

चंचल जब आठ वर्ष की हुई तो घर पर डांस करना प्रारंभ किया। अब वह मंच पर कार्यक्रम में 15 से 20 मिनट तक एकल नृत्य की प्रस्तुति देती है।घर पर रहकर उसने पेड़ पर चढ़ना प्रारंभ किया। वह अब ऊंचे से ऊंचे पेड़ पर चढ़ने में पारंगत है। पेड़ पर चढ़ते-चढ़ते पर्वतारोहण के प्रति आकर्षण उत्पन्ना हुआ और अब उसका सपना पूरा होने वाला है।

1.15 लाख का खर्च आ रहा

संस्था की लक्ष्मी सोनी ने बताया कि दोनों ही बच्चियां गरीब परिवार से हैं। एक बच्ची के पर्वतारोहण में 1.15 लाख रुपये का खर्च आ रहा है। उन्होंने समाजसेवियों, सेवा भावी लोगों और शासन-प्रशासन से सहयोग की अपील की है।

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