Friday, May 3, 2024
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वकील से बन गया रामेश्वर कश्यप उन्नत किसान, पढ़िए सफलता की कहानी।

@ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज हिम्मत सच कहने की,जांजगीर–चांपा

सफलता की कहानी

  • मनरेगा से गांव में पहली डबरी बनाकर बने रामेश्वर उन्नतशील किसान

डबरी से मिला सिंचाई का साधन, धान की फसल के साथ सब्जी की खेती, मछलीपालन से बढ़ाई आमदनी

जज्बा और जुनून हो तो मुश्किल को आसान बनाया जा सकता है, यही आपको दूसरे लोगों से कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करता है, रामेश्वर के मामले में यह बात सही साबित होती है। उनकी सुलझी हुई सोच का कमाल था कि गांव में पहली बार किसी किसान ने अपनी जमीन पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से निजी डबरी निर्माण कराने के बारे में सोचा था, उनकी इस सोच का नतीजा उनको आज आमदनी के साथ बेहतर मुनाफे के प्रतिफल के रूप में मिल रहा है। डबरी में बेशकीमती पानी को देखकर उन्होंने धान की फसल लगाई साथ में सब्जी-बाड़ी और मछलीपालन के क्षेत्र में कार्य करते हुए गांव के उन्ननतशील किसान बनकर उभरे और गांव के दूसरे ग्रामीणों को भी निजी डबरी निर्माण को लेकर प्रोत्साहित कर रहे हैं।

जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ विकासखण्ड की ग्राम पंचायत धुरकोट (मरकाडीह) के रहने वाले रामेश्वरलाल कश्यप जिनका कहना है कि महात्मा गांधी नरेगा ग्रामीण किसानों की जिंदगी में बदलाव ला रहा है। छोटी-छोटी जरूरतों को गांव में पूरा करने का बीड़ा उठाये हुए लोगों को आगे बढा़ रहा है। गांव में रोजगार के साधन के साथ ही उन्हें स्वरोजगार की दिशा में अग्रसर करने का बखूबी काम कर रहा है। उनके लिए भी मनरेगा वरदान साबित हुआ। वह अतीत के यादों में खो जाते हैं और बताते हैं कि एक समय था, जब उनके पास खेत तो थे, लेकिन पानी को संग्रहित करके रखने की कोई व्यवस्था नहीं थी, ऐसे में दोहरी फसल की कल्पना करना उनके लिए बेमानी साबित हो रहा था, इसी बीच उनके सपनों को पंख देने का काम नवागढ़ विकासखण्ड के तकनीकी सहायक अब्दुल कामिल सिद्दीकी ने किया। जब उन्होंने बताया कि खेतीहर किसानों को मनरेगा से निजी डबरी का निर्माण कराने का कार्य किया जाता है, जिसमें गांव के जॉबकार्डधारी परिवार कार्य करते हुए डबरी खुदाई करते हैं, और इंजीनियर एवं रोजगार सहायक की देखरेख में यह कार्य होता है। रामेश्वर को उनकी यह बात रास आ गई और अपने संयुक्त परिवार के सदस्यों से चर्चा करते हुए उन्होंने निजी जमीन में डबरी निर्माण की मंजूरी दे दी। तकनीकी सहायक एवं रोजगार सहायक श्रीमती मधु राजन ने आवश्यक दस्तावेजों को लेकर प्रस्ताव तैयार कराया। तकनीकी स्वीकृति के साथ जिला पंचायत प्रस्ताव भेजा गया, जहां से निजी डबरी के लिए 1 लाख 78 हजार 510 रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।

डबरी से मिला 904 मानव दिवस का रोजगार

प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद अविलंब रामेश्वर ने कार्य शुरू कराया। धान की फसल की कटाई के बाद 16 दिसम्बर 2019 को 21 परिवारों ने मेहनत से 904 मानव दिवस का कार्य सृजित करते हुए डबरी की खुदाई की। जैसे-जैसे डबरी की खुदाई होती गई रामेश्वर ने भविष्य के सपनों का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया और वह दिन आ गया जब 26 जनवरी 2020 को उनकी डबरी बनकर तैयार हो गई। डबरी के साथ ही रामेश्वर सहित उनकी पत्नी सुहावन बाई, उनके बेटे शिवकुमार, बहू रामेश्वरी ने 82 मानव दिवस का काम करते हुए 14 हजार 432 रूपए की आमदनी भी मजदूरी के रूप में अर्जित की। तो वहीं इस कार्य में गांव के 21 जॉब कार्डधारी परिवारों ने मिलकर 904 दिवस का कार्य करते हुए 1 लाख 59 हजार 104 रूपए की मजदूरी प्राप्त की।

रामेश्वर ने मछलीपालन के साथ लगाई दोहरी फसल

संयुक्त परिवार में रहने वाले रामेश्वर बताते हैं कि जहां बारिश के पानी से महज एक फसल लेना ही हो पा रहा था, लेकिन जब निजी डबरी निर्माण हुई तो दोहरी फसल के साथ सब्जी बाड़ी, मछलीपालन कर रहे हैं। वह बताते हैं, कि बारिश का पानी डबरी में एकत्रित हो जाता है।

जिससे धान की फसल में पानी की जरूरत के हिसाब से उपयोग कर लेते हैं। जिससे धान की पैदावार में इजाफा हुआ अब 10 क्विंटल अधिक धान अधिक ले पा रहे हैं। इसके बाद दोहरी फसल में चना, गेहूं लगाया, जिससे भी मुनाफा हुआ साथ ही डबरी की मेड़ पर भाटा, गोभी, टमाटर, मिर्च, धनिया आदि सब्जी लेना भी शुरू किया, जिससे उनके परिवार को बाहर से सब्जियां नहीं खरीदना पड़ता। रामेश्वर ने डबरी में भरे हुए पानी को देखते हुए मछलीपालन का विचार भी किया और दो साल में 25 हजार रूपए का मुनाफा कमाते हुए परिवार की जरूरतों को पूरा किया। उनके खेत में सौर सुजला योजना के तहत सौर ऊर्जा पंप भी लगाया है, जिसका उपयोग भी वह डबरी में पानी भरने के लिए करते हैं, ताकि मछलीपालन के कार्य में बाधा न आए। वह कहते हैं कि जब लॉकडाउन लगा तो उन्हें न तो बाहर सब्जियां लेने जाना पड़ा और न ही वह बेरोजगार हुए, बल्कि डबरी के पानी का उपयोग करते हुए भरपूर फसल लेते हुए उन्नतशील किसान बनकर उभरे। सरपंच सरवन किरण का कहना है कि महात्मा गांधी नरेगा से सामुदायिक कार्यों के साथ ही हितग्राही मूलक कार्य से गांव में लोगों को मजदूरी के साथ ही स्थाई परिसंपत्ति मिल रही है। रामेश्वर जैसे किसानों को आगे बढ़ने का अवसर मनरेगा ने प्रदान किया है।

कृषकों को देते हैं जानकारी

रामेश्वर उच्च शिक्षा प्राप्त कृषक हैं, उन्होंने एम.ए. एलएलबी किया हुआ है, हमेशा से कृषि को प्राथमिकता दी और सफल किसान बने। वह बताते हैं कि कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से वे कृषक सलाहकार के रूप में भी किसानों को प्रशिक्षण के माध्यम से जानकारी देते हैं। साथ ही गांव के कृषकों को मनरेगा से निजी डबरी निर्माण के लिए लगातार प्रेरित करते आ रहे हैं। उनसे प्रेरणा लेकर ही गांव में दूसरी डबरी का निर्माण छेरकाराम ने करवाया।

हितग्राही मूलक कार्यों से मिलता स्वयं का रोजगार

जिले में कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन में लगातार मनरेगा के हितग्राही मूलक कार्यों को प्राथमिकता के साथ कराया जा रहा है। कलेक्टर  सिन्हा का मानना है कि हितग्राहीमूलक कार्यों से गांव में ही रोजगार के अवसर के साथ स्वयं का स्वरोजगार स्थापित करने में मदद मिलती है। निजी डबरी, कुआं के निर्माण कराने से खेत में बाहरमासी पानी मिल जाता है। जिससे दोहरी फसल, बाड़ी विकास के साथ ही मछलीपालन का कार्य किया जा सकता है। जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल के मार्गदर्शन में महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों को प्राथमिकता के साथ पूर्ण किया जा रहा है। हितग्राही मूलक कार्यों के लिए लगातार ग्राम सभा, रोजगार दिवस के माध्यम से ग्रामीणों, जॉबकार्डधारी परिवारों को जानकारी दी जा रही है। नवागढ़ जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनिल कुमार के द्वारा महात्मा गांधी नरेगा के कार्यों को गुणवत्ता के साथ पूर्ण कराया जा रहा है। आईओ

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