ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज::मां का प्यार, स्नेह और देखरेख से वंचित किए जाने पर तीन माह के बच्चे ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मामले में हाईकोर्ट ने बच्चे की याचिका पर जवाब दाखिल नहीं करने पर कड़ा रुख अपनाया है।
इसे गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) व अन्य पक्षकारों को वन विभाग के समक्ष 25 हजार रुपये जमा करने की शर्त पर जवाब दाखिल करने का मौका दिया है।
बच्चे ने एक वकील के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा है कि उसकी मां उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) की कर्मचारी हैं। साथ ही कहा है कि माता-पिता की तीसरी संतान होने के नाते वह अपनी मां का प्यार, स्नेह और देखरेख से वंचित हो गया है क्योंकि उसके नियोक्ता (नगर निगम) ने उन्हें मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया है, जो कि उसके मौलिक अधिकारों का हनन है। तीसरी संतान होने के चलते महिला को नगर निगम ने मातृत्व अवकाश देने से इनकार किया है।
जस्टिस नज्मी वजीरी व स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने कहा है कि पिछली सुनवाई पर नोटिस स्वीकार किए जाने के बाद भी नगर निगम और अन्य प्रतिवादियों ने जवाब नहीं दिया, जबकि यह काफी गंभीर मसला है। बेंच ने कहा कि मामले में तात्कालिकता है क्योंकि अपनी कम उम्र में याचिकाकर्ता को पीड़ा होती है जब प्रत्येक बीतते दिन के साथ वह अपनी मां के प्यार व देखभाल से वंचित हो जाता है।
अपने अधिकारों का दावा किया : याचिकाकर्ता ने याचिका में माता-पिता का प्यार पाने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत अपने अधिकारों का दावा किया है। बच्चे ने याचिका में मां को मातृत्व अवकाश देने की मांग की है।
दूसरी ओर एनडीएमसी ने केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) 1972 के नियम- 43(1) पर अपने निर्णय के आधार पर बताया कि दो से कम जीवित बच्चों वाली महिला जो कि सरकारी कर्मचारी हो उसे 180 दिनों के लिए मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है। इस मामले में हाईकोर्ट ने कानूनी राय देने के लिए वकील शाहरुख आलम को न्याय मित्र नियुक्त किया है।
जुर्माने की रकम से पेड़ लगाए जाएं
हाईकोर्ट ने वन संरक्षण (दक्षिणी) को एनडीएमसी व अन्य द्वारा जमा कराए जाने वाले पैसे से पेड़ लगाने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि पेड़ की लंबाई छह फीट से कम नहीं हो। यह पेड़ दक्षिणी रिज में लगाने का निर्देश दिया गया है। पीठ ने हिंगोट, कुमथा, फुलई, सलाई, कनियार, पिसांगन, अमलतास, पिलखान, पापड़ी, कचनार, गूलर, बड़, काला सिरिस/सफेद सिरिस, धाऊ, खैर, ढाक और रोंझ प्रजाति के पेड़ लगाने का आदेश दिया है।