संकल्प और संघर्ष से सफलता की कहानी अपर कलेक्टर एसपी वैद्य ने साझा किया अपना सफर।

जांजगीर-चांपा। प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में जिले के अपर कलेक्टर एसपी वैद्य ने पत्रकारों के साथ अपने संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे एक छोटे से गांव से लेकर प्रशासनिक सेवा तक का सफर उन्होंने अपने दृढ़ निश्चय और मेहनत से तय किया।
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के भेंडारा गांव में जन्मे वैद्य ने शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल में प्राप्त की। उनके गांव में उच्च शिक्षा की सुविधाएं न होने के कारण, उन्हें 7 किमी दूर आरंभा गांव के स्कूल तक पैदल जाना पड़ता था। मेट्रिक के बाद बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने शिक्षक पद के लिए आवेदन किया, लेकिन उन्होंने इस पद को ज्वाइन नहीं किया।
यूपीएससी की तैयारी में संघर्ष
वैद्य ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। यूपीएससी की परीक्षा में पहले ही प्रयास में प्री और मेंस निकालने के बावजूद इंटरव्यू में असफल रहे। इसके बाद उन्होंने एमपी पीएससी की तैयारी शुरू की। पहले प्रयास में असफलता मिली, लेकिन दूसरे प्रयास में नायब तहसीलदार के पद पर चयनित हुए।
दुर्गम स्थानों पर सेवा
वैद्य की पहली पोस्टिंग रायपुर में हुई, लेकिन जल्द ही उनका स्थानांतरण देवभोग हो गया, जिसे उस समय “काला पानी की सजा” कहा जाता था। इसके बाद उन्होंने कोरबा, दंतेवाड़ा और सुकमा जैसे दुर्गम और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दीं। सुकमा में लगभग ढाई साल तक उन्होंने नक्सलियों के खतरों के बीच काम किया।
आज अब पद पर पहुंचे
वैद्य ने अपने संघर्ष और दृढ़ता के बल पर एसडीएम पद पर प्रमोशन प्राप्त किया और अब जांजगीर-चांपा जिले में अपर कलेक्टर के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए। उनकी कहानी आज के युवाओं को प्रेरित करती है कि कठिन परिस्थितियों में भी संकल्प और मेहनत से सफलता पाई जा सकती है।