जोबी गांव का दुर्भाग्य चार पंचायत में बंटे गांव में समस्या का अंबार सैकड़ो ग्रामीण निजी कम्पनी की दंश झेल अंधेरे मे जीवन बिताने मजबूर।
ब्यूरो रिपोर्ट जाज्वल्य न्यूज़ जांजगीर चांपा।
जिला मुख्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी में बसे जोबी गांव को अब तक राजस्व ग्राम का दर्जा नहीं मिल पाया तो वही आए दिन कई गंभीर समस्याओं से यहां बसे परिवार झूझते रहते हैं जिनका समाधान करने वाले कोई भी जनप्रतिनिधि या जिम्मेदार खड़े नहीं होते यहां बसे लोग अधिकतर किसान वर्ग के हैं जिसके कारण यहां मूलभूत समस्या का समाधान अब तक नहीं निकल पाया लंबे बरसों बाद जोबी बस्ती के लिए पहुंच मार्ग बन पाया है और गली में सीसी रोड बन पाया है यहां आज की 21 सी सदी में होने वाले विकास से कोसों दूर है आधुनिक युग दुनिया बिना बिजली पानी और मोबाइल के रहना संभव नहीं है ऐसे में दो से तीन दिन-रात बिना बिजली के रहने मजबूर हो चुके हैं
जिला मुख्यालय बनने के बाद से बिजली की समस्या कभी नहीं रही लेकिन पिछले तीन-चार वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र हरदी (हरि) सब स्टेशन से बिजली की सप्लाई लगभग 30 किलोमीटर की दूरी से होता आ रहा है जिसके कारण आए दिन बिजली की समस्या बनी रहती है ऐसे में यहां के ग्रामीण लोग काफी परेशान रहते हैं जोबी गांव के चार से पांच घर शहर की लाइनों से जुड़ी है तो दूसरी ओर कई बार समय-समय पर 36से 48 घंटा तक बिजली गुल रहती है भारी गर्मी में तो जैसे तैसे ग्रामीण समस्या को काट लिए लेकिन बरसात के दिनों में बिजली गुल होना भारी समस्या है।
जिससे निजात दिलाने कोई जिम्मेदार नहीं मिल रहे हैं। वही गांव की दुर्भाग्य है जो चार पंचायत से मिलकर भी विकास कार्यों से कोसो दूर दिखाई पड़ रहा भांठापारा जोबी में एक नामी बिजली ठेकेदार द्वारा लोहे की खंभा निर्माण करने का फैक्ट्री लगाया है जिसमें बिजली आपूर्ति की आवश्यकता अधिक होने के कारण वह ग्रामीणों के घरों की बिजली 30 किलो मीटर दूरी से सप्लाई होने वाले कनेक्शन से जबरन जोड़वा दिया एक निजी कम्पनी की दंश वहां बसे सैकड़ों ग्रामीण झेल रहे जिसे जल्द निजात ना मिली तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन करने तैयारी हो रही है ग्रामीणों द्वारा उस कम्पनी मालिक को भी इस बात के लिए कहा गया पर आज पर्यन्त तक कुछ नही हो पाया लेकिन अपनी हक और अधिकार की लड़ाई लड़ने तैयार है। वही यहां की ग्रामीण मतदाता तो 4 सरपंच चुनने का सौभाग्य पाने वाले दुनिया में इकलौते ग्रामीण है लेकिन विकास के ठेंगा पाने वाले अभागा भी है।