विकसित भारत में शिक्षित महिला की भूमिका पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन संपन्न
इंदौर। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में “विकसित भारत में शिक्षित महिला की भूमिका” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में विभिन्न राज्यों से 82 महिलाओं ने हिस्सा लिया, जिनमें छत्तीसगढ़ की नौ शिक्षिकाओं ने भी अपनी सहभागिता निभाई।
कार्यशाला चार सत्रों में विभाजित थी। उद्घाटन सत्र के बाद “भारत के विकास में शिक्षित महिला की भूमिका”, “महिला स्वावलंबन” और “मातृ सम्मेलन” के रूप में अन्य सत्र आयोजित किए गए। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी, मंत्री निर्मला भूरिया और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलगुरु डॉ. रेनू जैन ने मुख्य वक्ता के रूप में सारगर्भित उद्बोधन दिया।
अतुल कोठारी ने मैथिली शरण गुप्त की पंक्तियों से अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि महिलाओं के उत्थान से ही देश का उत्थान संभव है। वहीं, डॉ. रेनू जैन ने अपने संबोधन में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और ऐतिहासिक महापुरुषों का स्मरण कराते हुए महिलाओं की समाज में महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।डॉ. नीलांबरी दवे, डॉ. प्रेरणा मनाना, डॉ. शुभम जैन, डॉ. संगीता सहित कई वक्ताओं ने महिलाओं के स्वावलंबन, आर्थिक स्थिति और उनके गुणों पर चर्चा की।मातृ सम्मेलन के मुख्य वक्ता अतुल कोठारी ने स्वामी विवेकानंद के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि समाज की उन्नति पुरुष और स्त्री दोनों के सहयोग से ही संभव है। सम्मेलन की मुख्य अतिथि, महिला और बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के अनुभव साझा किए और इस तरह के आयोजनों की आवश्यकता पर जोर दिया।छत्तीसगढ़ से कार्यक्रम में भाग लेने वाली प्रमुख शिक्षिकाओं में सौराष्ट्र विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलांबरी दवे, गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर की डॉ. अनामिका तिवारी, महासमुंद की डॉ. दुर्गा भारती, जांजगीर की हेमलता शर्मा जयंती दुबे और मधुनामदेव, बिलासपुर की दीप्ती बाजपेई और निशा पटेल शामिल थीं।
कार्यक्रम का समापन डॉ. सोनाली नरगुंदे द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के सा
थ हुआ।