जांजगीर चांपा

मैं तो लाखो का पुतला हूं फिर भी मुझे तो शर्म आ रहा क्या मुझे बनवाने वालो ने सारी शर्म चंद रुपए में बेच डाली ये हम नहीं बल्कि जिला मुख्यालय में बने रावण का पुतला का पुकार…..

जांजगीर-नैला।दशहरा उत्सव के तहत इस वर्ष जिला मुख्यालय में हाई स्कूल मैदान पर नगर पालिका द्वारा बनाए गए रावण के पुतले ने लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। हर साल की तरह इस साल भी रावण का पुतला जलाया जाना था, परंतु इस बार लोगों की नाराजगी कुछ अलग वजह से देखने को मिली।स्थानीय लोगों का कहना है कि पुतले की स्थिति और उसकी बनावट में लगातार गिरावट आ रही है। पुतला, जो हर साल शहर की पहचान और उत्सव का प्रतीक होता था, इस बार अपंग और बेढंगा दिखाई दे रहा था। लोगों का कहना है कि रावण के पुतले को देखकर उन्हें खुद शर्म महसूस होने लगी है। एक पुतले के रूप में भी इसका सही ढंग से निर्माण न होना, नगर पालिका की लापरवाही को दर्शाता है।क्षेत्र के कई लोगों ने कहा कि रावण का पुतला तो प्रतीकात्मक है, उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और न ही उसकी गुणवत्ता से समझौता करना चाहिए। “यह पुतला साल-दर-साल गिरती गुणवत्ता का प्रतीक बनता जा रहा है, जिससे शहर की छवि धूमिल हो रही है,” एक नागरिक ने कहा।जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए पुतले की यह हालत उत्सव के महत्व को कम कर रही है। स्थानीय निवासियों ने नगर पालिका से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने और भविष्य में बेहतर निर्माण सुनिश्चित करने की मांग की है ताकि दशहरा उत्सव की गरिमा बरकरार रह सके।

80 हजार से 1 लाख से रुपए की रावण

सूत्रों की माने तो रावण का पुतला बनाने के लिए 80 हजार से 1 लाख रुपए की लागत आने की बात कही जा रही है जबकि रावण में आए खर्च की आकलन 10 से 15 हजार ही दिख रही

ग्रामीण क्षेत्रों में मिल जायेंगे जबकि वहां लोगो के पास किसी तरह की बजट नही होता बावजूद बहुत अच्छे प्रतिमाणात्मक रावण का पुतला मिलते है।

ग्राम खोखसा में बने रावण का पुतला

नगर पालिका की हो रही किरकिरी जिस रावण में लगे पोस्टर ही सारे बाते को बयां कर रही मैं रावण झुकेगा नई साला जबकि यह थीम पूरे नगर पालिका सहित जिला मुख्यालय को शर्मसार कर झुका दिया।

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