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जांजगीर चांपा लोकसभा में बुरी तरह हारे कांग्रेसी उफ ये हार की जिम्मेदारी अब नही सम्हलता……

विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने एक तरफा जीत हासिल कर सबको चौकाते हुए बीजेपी को चारो खाने चित कर दिए थे अब 6 महीने में ही अपना बड़ा जनाधार खो देना किसी अचंभे से कम नही है आखिर किस कारण इतने पिछड़े कांग्रेस विधानसभा चुनाव में लोकसभा क्षेत्र के आठ विधायक कांग्रेस के जीते और लगभग बीजेपी को मिले वोट से 1लाख 80हजार से ज्यादा थे लेकिन लोकसभा में 60 हजार वोट से हारना किसी सदमे से कम नही जिससे कांग्रेसी खेमा में खलबली मचा दी है अपने-अपने विधानसभा की लाज नहीं रख पाए विधायक जबकि नगर पालिका और नगर पंचायत में बैठे अध्यक्ष पार्षद भी सिर्फ डिंग हांकते रह गए और अपने आंखो के सामने कांग्रेस को हारते हुए देखे हालांकि नगरी निकाय मंत्री रहे डॉक्टर शिवकुमार डहरिया मंत्री रहते हुए नगरीय निकाय क्षेत्र में कार्य नही होने कारण ही मूल था जांजगीर नैला नगर पालिका में 3 बूथ जीते और चांपा में 2 बूथ जबकि दोनो जगह कांग्रेस की पार्षदों की संख्या अधिक के साथ अध्यक्ष भी कांग्रेसी ही है वही और नवागढ़ नगर पंचायत भी कांग्रेस की कब्जा होने के बाद भी हाल खस्ता ही रहा है जहां बीजेपी तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को हराते हुए व्यास कश्यप विधायक बने ऐसे में लोकसभा की जिम्मेदारी उनके सिर पर ही रही और लगातार डॉक्टर शिव कुमार दरिया के सबसे चाहते और भरोसेमंद विधायक में से रहे लेकिन जीत के मार्जिन को कायम नही रख सके, जांजगीर चांपा विधानसभा में तीन नगरी निकाय के अध्यक्ष और विधायक होने के बाद भी सबसे ज्यादा वोट से इस बार लोकसभा मे हारने का तमगा भी जांजगीर चांपा विधानसभा क्षेत्र को ही मिला वही पामगढ़ विधानसभा में लगभग 400वोट से लीड कर पाए और पामगढ़ विधायक श्रीमती शेष राज हरबंस ने भी अपने जीत की मार्जिन को कायम रखने में नाकाम रही जबकि वहां दो केंद्रीय पार्टी बीएसपी और कांग्रेस मिलाकर स्थित बनी है सबसे बड़ा सवाल पामगढ़ में यही खड़ा होता है कि इससे पहले बसपा के विधायक रहे चाहे विधानसभा हो या इस लोकसभा चुनाव में आखिर बीएसपी की कैडर वोट कहां चली गई अब बात करते है अकलतरा विधानसभा की जहां कांग्रेस जिला अध्यक्ष राघवेंद्र कुमार सिंह विधायक भी है ऐसे में उनका जिम्मेदारी दोहरा था और उनके क्षेत्र में लगभग 10 हजार वोटो से कांग्रेस पीछे रह गई है मतलब स्पष्ट है कि विधायक अपने जीत के मार्जिन को लोकसभा चुनाव में कायम नही रख पाए अब बात करते है सक्ति जिला की जहां से छत्तीसगढ़ नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत हमेशा से छत्तीसगढ़ की राजनीति में सक्रिय रहे और टाइम वक्त में पक्ष पलटने में माहिर कहे जाने वाले महंत खेमा कोरबा में श्रीमती महान के चुनाव प्रचार प्रसार में व्यस्त होने के कारण शक्ति क्षेत्र पूरी तरह से कमजोर हो गई जिससे भाजपा प्रत्याशी कमलेश जांगड़े ने लोकल होने का मौका नहीं गंवाया और खूब प्रचार प्रसार कर अपने पक्ष में वोट कराने पूरी तरह सफल रही, वही इस हार की जिम्मेदारी से कांग्रेसी निश्चित रूप से मुंह छुपाते दिख रही है, शक्ति चंद्रपुर की बात करें तो विधायक रामकुमार यादव ने जिस तरीका से विधानसभा में जुड़े परिवार की शान कहे जाने वाली बहु रानी संयोगिता जूदेव को दो बार से पटकनी दी लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में वह दम नहीं भर सके और अपने विधानसभा में कांग्रेस के लिए कुछ खास नहीं कर पाए जय जयपुर क्षेत्र में जिस तरह विधानसभा में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए विधायक बालेश्वर साहू ने जीत दर्ज की थी वह जीत के प्रतिशत को कायम नहीं रख पाया और इकलौता विधानसभा में इज्जत बचाते हुए अपने क्षेत्र से कांग्रेस को बढ़त दिलाने में कामयाब रहे हालांकि क्षेत्र में जनाधार की कमी कांग्रेस के लिए सर दर्द बनी हुई है कसडोल और बिलाईगढ़ में कविता प्राण लहरें संदीप साहू सहित स्वयं डॉक्टर शिवकुमार दरिया अपने आप को लोकल बताते हुए भी अपनी जी सुनिश्चित नहीं कर पाए और बीजेपी ने वहां भी बड़े मार्जिन से चुनाव जीतने में सफल रहे ऐसे में लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस की करारी हार कांग्रेस पार्टी को किसी बुरे सपने से कम नहीं है और आठ विधायक सहित पूर्व मंत्री का तमगा और दर्जनों नगरीय निकायों के कांग्रेस के अध्यक्ष पार्षद सहित अपने क्षेत्र में एक लोकसभा जितने सफल नहीं हो पाए कांग्रेस पार्टी के लिए आने वाले नगरी निकाय चुनाव में अब पार्टी को जीत दिलाने कड़ी मेहनत और एकजुट होने की आवश्यकता है नहीं तो नगरी निकाय चुनाव में भी इसी तरह को हाल देखने को मिल सकती है कांग्रेसी खेमा में आपस की गुडबाजी और बड़ी संख्या में कांग्रेसीयो का बीजेपी में प्रवेश होना ही लोगसभा क्षेत्र में बीजेपी की जीत का मुख्य वजह रही ।

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