Thursday, April 18, 2024
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वैवाहिक बलात्कार पर हाईकोर्ट के खंडपीठ जजों के अलग-अलग मत सुप्रीम कोर्ट में पेश करने दिया सुझाव।

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज::दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ के दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला दिया। वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण की मांग करने वाली याचिकाएं 2015 और 2017 से अदालत के समक्ष लंबित थीं। आरआईटी फाउंडेशन और ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन अदालत के समक्ष प्रमुख याचिकाकर्ता थे
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण की मांग वाली याचिकाओं पर एक बंटा हुआ फैसला सुनाया। खंडपीठ के दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला दिया।

जस्टिस राजीव शकधर ने धारा 376 आईपीसी के तहत अपनी पत्नियों के साथ गैर-सहमति संभोग करने वाले पुरुषों पर आपराधिक मुकदमा चलाने से रक्षा करने वाले अपवाद 2 को हटाने का फैसला सुनाया, तो वहीं जस्टिस सी हरि शंकर ने यह कहते हुए असहमति जताई कि अपवाद 2 अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन नहीं करता है।

हालांकि, दोनों जज इस बात पर सहमत हुए कि मामले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ले जाया जा सकता है क्योंकि इसमें कई कानूनी पहलू शामिल हैं।

बता दें कि, वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण की मांग करने वाली याचिकाएं 2015 और 2017 से अदालत के समक्ष लंबित थीं। आरआईटी फाउंडेशन और ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन अदालत के समक्ष प्रमुख याचिकाकर्ता थे।

याचिकाओं पर नए सिरे से जवाब देने के लिए केंद्र के अनुरोध को खारिज करते हुए, अदालत ने 21 फरवरी को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

केंद्र ने अदालत से कहा था कि 2017 के उसके लिखित रुख को अंतिम नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि वह पहले इस विषय पर हितधारकों के साथ परामर्श करना चाहता है।

हालांकि खंडपीठ ने कहा था कि वह इस मामले को ऐसे ही लटकने नहीं दे सकती और सरकार से कहा कि उसकी परामर्श प्रक्रिया जारी रह सकती है।

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