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साहित्यकार दिनेश चतुर्वेदी को मिली हिन्‍दी साहित्‍य भूषण की मानद उपाधि।

इस उपाधि को पाने वाले छत्तीसगढ़ के सबसे कम उम्र के साहित्यकार दिनेश जी

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज जांजगीर चांपा::जांजगीर के व्याख्याता एवं युवा कवि दिनेश रोहित चतुर्वेदी को राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त अग्रणी साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक संस्था साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा (राजस्थान) द्वारा ‘हिन्दी साहित्य भूषण’ 2022 की मानक उपाधि से अलंकृत किया गया। ‘हिन्दी साहित्य भूषण’ एक राष्ट्र स्तरीय उपाधि है जो राष्ट्रभाषा हिन्दी के अनुपम योगदान के लिए दिया जाता है। दिनेश इस उपाधि को पाने वाले छत्तीसगढ़ के सबसे कम उम्र के साहित्यकार हैं। साहित्य मण्डल द्वारा युवा कलमकार दिनेश रोहित चतुर्वेदी को यह अलंकरण सजल संग्रह ‘जीवित नदी’, ‘दर्द का अनुवाद’, मुक्तक संग्रह ‘चेतना के बीज’ गीत नवगीत ‘आत्ममंथन का समय है’ के माध्यम से हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए दिया गया। यह उपाधि हिन्दी दिवस कार्यक्रम के अवसर पर साहित्य मण्डल नाथद्वारा के प्रेक्षागृह में साहित्य मण्डल के प्रधानमंत्री श्री श्याम देवपुरा, व्यवस्थापक वीरेंद्र लोढ़ा, प्रसिद्ध कवियित्री रेखा लोढ़ा, वरिष्ठ शोधकर्ता प्रो अमर सिंह वधान, कवि सुरेंद्र सार्थक, प्रसिद्ध छंदकार विट्ठल पारीक, संचालक हरिओम हरि, पूर्व राजभाषा आयोग के अध्यक्ष विनय पाठक, समकालीन कवि दयानंद गोपाल की उपस्थिति में प्रदान किया गया। अलंकरण में उपाधि पत्र के साथ मेवाड़ी पगड़ी, कण्ठहार, उत्तरीय, सॉल, श्रीनाथ की तस्वीर श्रीफल भी प्रदान किया गया।

               इससे पहले भी दिनेश की किताब सजल संग्रह ‘जीवित नदी’ को 3 एवं चेतना के बीज को 2 राष्ट्र स्तरीय सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। दिनेश शा उ मा वि क्र 1 जांजगीर में हिन्दी के व्याख्याता एवं एन सी सी अधिकारी हैं जो हिन्दी और छत्तीसगढ़ी दोनो भाषा में समान रूप से लेखन कर रहे हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय कवि संगम के प्रदेश मंत्री का दायित्व भी संभाल रहे हैं। कवि की 4 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं एवं पांचवी किताब प्रकाशनाधीन है। इससे पहले भी दिनेश को शब्द साधक, कृति साहित्य सम्मान, वीणापाणि सम्मान, सजल सौरभ, साहित्य भूषण, सजल रथी, सजल श्री, युवा प्रतिभा, सजल गौरव, अमृतादित्य साहित्य सम्मान, मिनीमाता नारी गौरव अवार्ड, साहित्यश्री, हिन्दीरत्न, कवि भूषण जैसे दर्जनों सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
इस अलंकरण से शिक्षा विभाग एवं साहित्यकारों में हर्ष व्याप्त है।

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