जांजगीर चांपा

धू-धू कर जलती रही पराली, प्रशासन और जिम्मेदार बने रहे मूकदर्शक सुप्रीम कोर्ट की आदेश सरकारी विभाग ने उड़ा दी धज्जी ।

 

खोखसा कृषि बीज प्रक्षेत्र में धधक रही पराली, प्रदूषण से बिगड़ रहे हालात: खोखसा कृषि बीज प्रक्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं से पूरे इलाके में प्रदूषण का स्तर गंभीर हो गया है। दर्जनों एकड़ खेतों में पराली जल रही है, जिससे करीब 100 एकड़ की पराली को जला दी गई है जिससे क्षेत्र प्रदूषण की चपेट में आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के बावजूद जिम्मेदार विभाग और किसान इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे।

प्रशासन की अपील बेअसर प्रशासन द्वारा पराली न जलाने की बार-बार अपील करने के बाद भी सरकारी विभाग और किसानों ने खेत में पड़ी पराली जला दी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, पराली जलाने पर प्रति हेक्टेयर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाना है। इसके बावजूद, नियमों का उल्लंघन जारी है।

पराली जलाने से मवेशियों पर असर पराली जलाने के कारण न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि मवेशी भी भूखे मरने को मजबूर हैं। खेतों में चारा खत्म हो चुका है, जिससे किसानों के लिए अतिरिक्त समस्या पैदा हो गई है।कार्यवाही की दरकार

इलाके के लोगों ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और भी गंभीर रूप ले सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने से वायु गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आ रही है, जो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

जरूरत समाधान की

यह समय है कि किसान और प्रशासन दोनों मिलकर पराली जलाने के विकल्प खोजें। पराली प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध योजनाओं और तकनीकों का उपयोग सुनिश्चित करना आवश्यकता

राजस्व विभाग को शिकायत के बाद भी नहीं करते कोई कार्रवाई प्रणाली जलने वाले की लगातार बढ़ रही है मनोबल क्षेत्र पर पड़ रहा है बुरा।

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