पामगढ़ क्षेत्र में अवैध कच्ची शराब पर रेड कार्रवाई पर सवाल, पुलिस पर मिलीभगत के आरोप…आखिर किसकी सूचना पर आरोपी हो जाते है रेड कार्यवाही से पहले फरार
पामगढ़: क्षेत्र में महुआ से बनी अवैध कच्ची शराब को लेकर लगातार हो रही पुलिस और आबकारी विभाग की संयुक्त कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि पुलिस और आबकारी विभाग की टीम रेड तो कर रही है, लेकिन आरोपियों को बचाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर बार रेड की सूचना शराब बनाने वालों को पहले ही दे दी जाती है, जिसके कारण वे वहां से भाग जाते हैं। कुछ समय पूर्व पामगढ़ थाना क्षेत्र में अवैध महुआ शराब के खिलाफ कार्रवाई करने गई टीम पर जानलेवा हमला हुआ था। आरोपियों ने बयान दिया था कि पुलिस थाने में तैनात कुछ आरक्षकों को मोटी रकम कमीशन के रूप में दी जाती थी, लेकिन इसके बावजूद उन पर दबाव बनाया जाता था, जिससे तंग आकर उन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया।क्षेत्रवासियों का यह भी कहना है कि इलाके में अवैध शराब का कारोबार खुलेआम चल रहा है, जिसकी जानकारी सभी को है। इसके बावजूद पुलिस इन कारोबारियों को क्यों नहीं पकड़ पाती, यह सवाल उठाया जा रहा है। आरोप है कि कुछ पुलिसकर्मी इन अवैध कारोबारियों से हर महीने रकम वसूलते हैं और जब मनमाफिक रकम नहीं मिलती, तो रेड की कार्रवाई की जाती है।
यह मामला अब तूल पकड़ रहा है, और लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या पुलिस और आबकारी विभाग की कार्रवाई वास्तविक है या फिर सिर्फ दिखावा? प्रशासन से इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की मांग की जा रही है ताकि क्षेत्र में अवैध शराब के कारोबार पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके।
एक सप्ताह के भीतर लगातार दूसरी बड़ी रेड कार्यवाही के बाद भी नहीं पकड़े गए एक भी आरोपी जिससे सवाल उठना लाजमी है और पूर्व में हुए सभी बाते अपने आप में दोहराता नजर आ रहे है यह क्षेत्र वासियों करसवाल ही नही बल्कि सच्चाई भी बयां हो रही।