पुष्य माह में 53 जोड़ों का सामूहिक विवाह, धार्मिक परंपराओं पर उठे सवाल नवविवाहित जोड़ों को अनहोनी का न बनना पड़े शिकार।
जांजगीर-चांपा। सनातन धर्म में पुष्य माह, जिसे खरमास कहा जाता है, के दौरान विवाह जैसे मांगलिक कार्यों को वर्जित माना गया है। इसके बावजूद महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 6 जनवरी को 53 जोड़ों का सामूहिक विवाह आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय नवदम्पत्तियों को आशीर्वाद देंगे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास के दौरान शुभ कार्यों को अशुभ माना जाता है, और इस अवधि में विवाह करना परंपराओं के विरुद्ध है। इस आयोजन को लेकर समाज में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। बीते सप्ताह भी प्रशासन ने सामूहिक कन्या विवाह का आयोजन किया था, जिसमें कई जोड़ों का विवाह सम्पन्न हुआ।
सूत्रों का कहना है कि यह आयोजन सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कई जोड़ों ने केवल सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए विवाह के लिए सहमति दी है। हालांकि, धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने इसे सनातन परंपराओं के खिलाफ बताते हुए कड़ी आलोचना की है।
धार्मिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार परंपराओं को नजरअंदाज कर किए गए विवाहों से नवदम्पत्तियों को भविष्य में किसी अनहोनी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया है कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए ऐसे आयोजनों के लिए उचित समय का चयन किया जाए।
अब सवाल यह है कि प्रशासनिक निर्णय और धार्मिक परंपराओं के बीच संतुलन कैसे स्थापित होगा? यह आयोजन आने वाले समय में सरकारी योजनाओं के तहत होने वाले ऐसे कार्यक्रमों की दिशा निर्धारित कर सकता है।