जांजगीर चांपा

जांजगीर में सूदखोरों का आतंक, एक और युवक ने कर्ज से तंग आकर दी जान अब तक आधा दर्जन लोग लगा चुके मौत को गले।

जांजगीर। नगर में सूदखोरी के चलते आत्महत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में शुभम राठौर नामक युवक ने कर्ज से परेशान होकर अपनी जान दे दी। यह मामला सामने आते ही शहर में आक्रोश और चिंता की लहर दौड़ गई है।

शहर में यह कोई पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी कई परिवार सूदखोरी की मार झेल चुके हैं। पंचराम यादव का पूरा परिवार इस कर्ज के दुष्चक्र में फंसकर खत्म हो गया, लेकिन उनके मामले को विधानसभा में उठाने की जहमत तक किसी ने नहीं उठाई। पान व्यवसायी की आत्महत्या से लेकर अब तक कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनके पीछे सूदखोरों का दबाव और अत्याचार सामने आ रहा है।

कौन दे रहा संरक्षण?

नगर में कौन लोग युवाओं और जरूरतमंदों को ऊंची ब्याज दर पर पैसे दे रहे हैं और किसके संरक्षण में यह सब हो रहा है, यह अब भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है। प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता के कारण सूदखोरों के हौसले बुलंद हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों इस गंभीर समस्या पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।

प्रबुद्धजनों को उठाना होगा कदम

ऐसे में अब नगर के प्रबुद्धजनों को ही इस विषय पर आवाज उठाने की जरूरत है। प्रशासन से इस अवैध और अमानवीय गतिविधि पर ठोस कार्रवाई की उम्मीद नहीं दिख रही है। यह चिंताजनक है कि सूदखोर एक हजार रुपये पर लाखों रुपये वसूल रहे हैं और जब लोग इसे चुका नहीं पाते, तो उनकी जिंदगी ही दांव पर लग जाती है।

कब रुकेगा मौत का यह सिलसिला?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब तक युवा इस कर्ज के दलदल में फंसकर अपनी जान देते रहेंगे? क्या इन सूदखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी या हमें और मासूम जानें जाती देखने को मिलेंगी? प्रशासन को अब तत्काल कदम उठाने होंगे, ताकि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके और नगर के युवाओं को एक सुरक्षित भविष्य मिल सकेअब तक आधा दर्जन से अधिक ने सूदखोरों से तंग आकर मौत को गले लगा चुके है।

पुलिस और प्रशासन सहित जिम्मेदार लोगों पर उठ रही कई सवाल आखिर सूदखोर के मामले पर क्यों कार्यवाही करने से जिम्मेदार झिझक रहे हैं यह तो अब समय ही बताएगा।

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