कांग्रेस ने टिकट दिए और कुर्मी समाज देंगे समर्थन तो ब्यास कश्यप का जीतना तय 52% कुर्मी वोट का विधायक बनाने रहता है अहम रोल।
ब्यूरो रिपोर्ट जाज्वल्य न्यूज़ जांजगीर चांपा।
लंबे समय में बीजेपी में सेवा देने वाले नेता व्यास कश्यप ने 2018 के चुनाव में भाजपा से टिकट न देने से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी और और बसपा जांजगीर चांपा जिला में अपने विधायक की सीट बढ़ाने की जुगत में लगे बसपा और जोगी कांग्रेस का गठबंधन हो गया और आनन फानन में प्रत्याशी बना ब्यास कश्यप के सिर शेहरा बांध मैदान में उतार दिया लोग उम्मीद और कड़ी मेहनत भी किए लेकीन 1998 से भाजपा और कांग्रेस को एक एक पारी खिलाने वाले जनता आखिरकार पुनःलगातार 5 बार की चेहरा के साथ ब्यास कश्यप भी लोगो मन में घर कर गया था कुछ कांग्रेसी और भाजपाई बंद दरवाजे से खुब प्रयास भी किए लेकीन पार्टी की कसावट के कारण पिछे रह गए और लेकीन समर्थक असफल हो गए पार्टी बदलने के टीस और सामाजिक विरोध के कारण काफी पिछे रहे और तीसरे स्थान में रहे ब्यास कश्यप बीजेपी में रहते हुए कई पद में रहे और चुनाव जीतकर नगर पालिका उपाध्यक्ष के साथ-साथ उनका पत्नी सूरज ब्यास कश्यप ने जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 1 से बिना किसी पार्टी के समर्थन चुनाव जीती और भाजपा के समर्थन मिली और अंत में जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुई इस दौरान अपनी कद को बढ़ाने एक बेहतरीन मौका रहा जिससे वह चूक गए और समाज के लिए कोई बड़ा विशेष या क्षेत्र के लिए अमित छाप नहीं छोड़ पाए जिसके कारण विधानसभा चुनाव में मिला हार बड़ा कारण रहा लंबे समय से अथरीया कुर्मी समाज में नेतृत्व भी किया लेकिन सामाजिक लोगों का भरोसा गुटबाजी के कारण अन्य समाज के भांति नहीं मिल पाया, हालंकि समय परिवर्तनशील है और उसी को देखते हुए 2018 में कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब हुए और ब्यास कश्यप ने कांग्रेस की ओर रुख करते हुए सरदार वल्लभभाई पटेल उद्यान में आदमकद मूर्ति का अनावरण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बतौर मुख्यअतिथि के रूप शामिल हुए थे जो अथरिया कुर्मी समाज के तत्वाधान हुआ उसी दौरान आम सभा के बीच में अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस में प्रवेश किया और बीते साढ़े 4 साल में कांग्रेस का सेवा किया और वर्तमान में कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष के रूप में निर्वहन कर रहे हैं साथ ही 2023 के विधानसभा चुनाव में अब कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में दावेदारी पेश किए हैं जिससे दल बदल का एक मुद्दा जरूर गुंजा है लेकिन अन्य कांग्रेस दावेदारों में विरोध का तो लंबी फेहरिस्त है और ब्यास कश्यप कोई इकलौता दल बदलने वाले नेता नही है सैकड़ो ऐसे उदाहरण मिलेंगे जिन्होंने दल बदल कर क्षेत्र में अपना जीत का परचम लहराया है जांजगीर चांपा विधानसभा में वह स्थानीय नेता होने और कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र विधानसभा क्षेत्र होने के कारण कांग्रेस के पाले में एक सीट लाने और कांग्रेस मुक्त जिला का तमगा हटाने बड़ा और सशक्त जीतने वाले प्रत्याशी के रूप में बेहतर विकल्प होगा देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस टिकट देगी या नही यदि मौका मिलता और सामाजिक एकता को साधने सफल हुआ तो जीत कोई अतिसन्योक्ति नही होगा।
मुख्यमंत्री भुपेश बघेल के चहेते में शामिल
कुर्मी और पिछड़ा वर्ग बाहुल्य विधानसभा के साथ साथ सशक्त नेतृत्व कर्ता होने के कारण मुख्यमंत्री भी चाहते है कि इस बार कई विधानसभा में नए चेहरे को मौका देते हुए 75 पार की उम्मीद लगाए बैठे पार्टी का बढ़ाने सहायक होगा और जीतने वाले प्रत्याशी की तलाश में लगे हुए हैं जिससे ब्यास कश्यप को टिकट मिलने की कयास लगाया जा रहा है कि इस बार कांग्रेस पार्टी सहित नए चेहरे के रूप प्रत्याशी उतारने को लेकर जांजगीर चांपा विधानसभा क्षेत्र में ब्यास कश्यप को मुख्यमंत्री द्वारा नॉमिनेट किए जाने की बात काफी जोरों से चल रहा है।
अथरिया कुर्मी समाज के नेता को मिलेगा समाजिक समर्थन।
अथरिया कुर्मी समाज ने भी इस बार समाज के नेता को नेतृत्व करते हुऐ देखना चाहता है अब भाजपा और कांग्रेस पार्टी ने कुर्मी समाज के बाहुल्यता के बाद भी कभी मौका नहीं दिया गया है लेकीन इस बार कोई भी पार्टी हो यदि अटरिया कुर्मी समाज के कोई भी नेता को पार्टी टिकट देती है तो समाज एक जुट हो जीताने की मूड में है चाहे वह कोई भी पार्टी के हो हालंकि ब्यास कश्यप को कांग्रेस टिकट देती है तो निश्चीत रूप से लंबे समय तक राजनिति अनुभव फायदा देगा और पिछली पारी में मिले वोट सामाजिक एकता से ज्यादा बढ़ेगा जिससे जीतने में आसानी होगी हालंकि बीजेपी किसी अथरिया कुर्मी नेता को टिकट देती है तो उसे भी समर्थन करेगी और दोनो पार्टी किसी भी सूरत में एक साथ अथरिया कर्मी को नेतृत्व करने का मौका नहीं देगी इसलिए अच्छा गया कुछ नहीं समाज में अपने समाज के नेता को समर्थन करने किसी तरह की समस्या नहीं होगा।