जांजगीर चांपा

होगी मवेशी मुक्त सड़क चरवाहों को लगाकर पहुंचाएं गौठान में मवेशी,नियमित रूप से होगी पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण।

ब्यूरो रिपोर्ट जाज्वल्य न्यूज़ जांजगीर चांपा।

जिला पंचायत सभाकक्ष में जिपं सीईओ डॉ. ज्योति पटेल ने ली सचिवों की बैठक।

 

गांवों में पशुपालकों, किसानों के मवेशियों को चरवाहों के माध्यम से गौठान में पहुंचाने का कार्य करें, जिससे किसानों की फसलों को कोई नुकसान न हो, साथ ही मुख्य मार्गों पर विचरण करने वाले आवारा पशुओं की रोकथाम करें। यह बात शुक्रवार को जिला पंचायत सभाकक्ष में आयोजित बैठक में जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल ने कही। इस दौरान उन्होंने गौठान में पहुंचने वाले पशुओं के लिए वेटेनरी विभाग को पशु स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाने और नियमित रूप से पशुओं की जांच करने के निर्देश दिए।

जिपं सीईओ ने कहा कि रोका-छेका की परंपरा के माध्यम से पशुओं को गौठान में पहुंचाया जा रहा है। इसके लिये जरूरी है कि ग्राम पंचायत सचिव सरपंच, रोजगार सहायक, गौठान समिति के अलावा जनप्रतिनिधियों, पशुपालकों, स्व सहायता समूह के साथ मिलकर आपसी समन्वय करते हुए कार्य करें। उन्होंने सचिवों से कहा कि वे पशुओं के लिए पैरा को सुरक्षित रखे और बारिश में पीने के साफ पानी की व्यवस्था करें। इसके साथ ही पशु शेड की साफ-सफाई रखें, गंदगी होने से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि रोका-छेका का बेहतर क्रियान्वयन करने के लिए नियिमत रूप से मुनादी कराई जाए और ग्राम पंचायत में बैठक कराएं। उन्हांेने सचिवों से कहा कि गौठान में की जा रही आजीविका गतिविधियों की जानकारी सतत रूप से भेजी जाए। उन्होंने इस दौरान पीएम आवास योजना के तहत हितग्राही को किश्त प्राप्त होने के बाद आवास का निर्माण कार्य पूर्ण कराने के निर्देश दिए।

पशुओं का परीक्षण जरूरी, रजिस्टर में करें दर्ज

जिपं सीईओ ने बैठक में कहा कि गौठान में पहुंचने वाले पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण नियमित रूप से किया जाए। बीमार होने पर पशुओं को अलग रखा जाए और इसकी सूचना डॉक्टर को देकर दवाई, इंजेक्शन आदि के माध्यम उसका इलाज किया जाए। उन्होंने कहा कि गौठान में आने वाला बीमार पशु किस तरह की बीमारी से ग्रसित है, इसकी जानकारी डॉक्टर से लेकर रजिस्टर में दर्ज करें, ताकि उसका निदान बेहतर हो सके। वेटेनरी विभाग अधिकारी ने जानकारी दी गई कि पशुओं को भीगने, कीचड़ में खड़े होने से बचाया जाए। पानी एवं कीचड़ में रहने से निमोनिया का खतरा बना रहता है।

 

 

 

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