ऑफिस में मलाई दार शाखा में बाबू गिरी कर शिक्षकीय कार्य से बचने अटैचमेंट खेल में माहिर व्याख्याता के खिलाफ कलेक्टर से शिकायत।

शासकीय स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे युक्तियुक्तकरण (Rationalisation) अभियान के बीच अब शिक्षकों द्वारा कार्यालयों में ‘अटैचमेंट’ लेकर मूल कार्य से बचने की प्रवृत्ति सवालों के घेरे में है।इसी संदर्भ में गणित विषय के व्याख्याता दिनेश राठौर के खिलाफ भाजयुमो जिला महामंत्री सोनू यादव ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि व्याख्याता राठौर लंबे समय से डीईओ कार्यालय में अटैचमेंट के माध्यम से मलाईदार शाखा में पदस्थ हैं और वास्तविक शिक्षकीय कार्य से बचते आ रहे हैं।ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि जब एक ओर शालाओं में गणित जैसे विषयों के शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं, वहीं व्याख्याता कार्यालय में बाबूगिरी करते हुए पदस्थ बने हुए हैं। यह स्थिति न केवल शैक्षणिक व्यवस्था को प्रभावित कर रही है बल्कि युक्तियुक्तकरण की भावना के भी विपरीत है।सोनू यादव ने कलेक्टर से मांग की है कि दिनेश राठौर का डीईओ कार्यालय से अटैचमेंट तत्काल निरस्त किया जाए तथा उन्हें उनके मूल संस्था शासकीय हाईस्कूल धुरकोट में पदस्थ किया जाए, ताकि छात्रों को विषय विशेषज्ञ शिक्षक उपलब्ध हो सकें।शिक्षा विभाग में जारी ‘अटैचमेंट संस्कृति’ पर यह एक बड़ा सवाल है, जो युक्तियुक्तकरण के क्रियान्वयन और शिक्षकों की वास्तविक उपयोगिता के मूल्यांकन को लेकर प्रशासन की सजगता की माँग करता है।
वहीं शासकीय प्राथमिक शाला चौड़ीपारा में पदस्थ पत्नी सुनीता राठौर का डीईओ कार्यालय में अटैच होने का लाभ मिलता है मेहरबान रहते है डीईओ और beo चूंकि पति उच्च कार्यालय में अटैच और कार्यवाही कैसे हो भला ज्ञात हो कि सुनीता राठौर की स्टॉप के साथ आए दुर्व्यवहार और और तानाशाही रवैया से बच्चों के ऊपर बुरा असर पड़ता है साथ ही वह पदस्थ होने के बाद आज पर्यंत तक न शाला समय पर पहुंचते है न समय तक रुकती है जिससे बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर हो रहा है अन्य स्टॉप पर स्कूल में सीनियर होने और पति का उच्च कार्यालय में अटैचमेंट का रौब जमाते रहते है ग्रामीणों से कई बार शिकायत के बाद भी वो अपने कार्यशैली पर सुधार करने की बजाय तानाशाही रवैया अपनाती है।