पंचायत में पीएम आवास के लिए हो रहा है बड़ा खेला,कमीशन के बल पक्का मकान को पात्र बनाने कागज की ग्राम सभा।
ब्यूरो रिपोर्ट जाज्वल्य न्यूज़ जांजगीर चांपा।
प्रधानमंत्री आवास के लिए इन दिनों ग्राम पंचायत में भारी भरकम सूची भेजा गया है अवलोकन कर आनन फानन में ग्रामसभा में पारित कर सूची उच्च कार्यालय को देने निर्देशित किया गया है,अब यहां से बड़ा खेला करने हो गई तैयारी और जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने लोगों की सूची पात्र हितकारी की चयन करने दबाव बनाया जा रहा है साथ ही इस पर बड़ी कमीशन का खेल भी हो रहा है हालांकि यह किसको और कहां दे रहे हैं यह अभी कहना जल्दबाजी होगा लेकिन आने वाले दिनों में इसकी ग्रामीण शिकायत कर खुलासा जरूर करेंगे क्योंकि यह सूची भारी भरकम है और अधिकतर हितग्राहियों की मकान पक्का बन चुका है बावजूद उसके कच्चे मकान या आवासहीन की सूची में शामिल करने नाम मात्र की रह गई ग्राम सभा की शक्तियां पर दबाव बनाया जा रहा है जिसमें ग्रामीण उपस्थित तो नहीं हुई लेकिन सरपंच और सचिव पर दबाव बनाकर सूची में नाम जुड़वाने जोर शोर से जद्दों जहद हो रही है, क्योंकि सर्वे सूची 2011 जाने आज से 13 साल पहले की है कई गरीब परिवार अपने रोजी-रोटी की कमाई कर पाई–पाई जोड़ अपने सर में छत की जुगाड़ कर संतुष्ट हो गए हैं जबकि बड़े और मध्यमवर्गी के और अपात्र हितग्राही आवास की सूची में नाम जोड़वाने हर कोशिश कर रहे हैं और दबाव से वर्तमान में उसका नाम तो जोड़ा जाएगा और पात्र हितग्राहियों की सूची में शामिल होते हैं उसे प्रधानमंत्री आवास की किस्त भी मिल जाएगी लेकिन गलत पाए जाने पर वसूली करना किसी के लिए संभव नहीं हो पाएगा और ऐसे मामलों पर प्रशासन भी मौन साधलेती है।
पुर्व में प्राप्त पीएम आवास से लाभान्वित हितग्राहियों की सुची गायब।
प्रशासन ने पंचायत सचिव को बहुत ही कम समय में सूची से छांट कर पात्र हितग्राहियों की सूची भेजने निर्देशित किया गया है उसमें कई पंचायत में पंचायत सचिवों के स्थानांतरण हो जाने के बाद वर्तमान सचिव के पास लाभान्वित हितग्राहियों की सूची नहीं होने के कारण मिलान करने में त्रुटि होने की संभावना बढ़ गई है जिसे आने वाले समय में कई तरह की समस्या जन्म लेगी, इसी जल्द बाजी को लेकर मौका का फायदा जनप्रतिनिधि और हितग्राही उठाने का कर प्रयास कर रहे है।
क्या ग्राम सभा का निर्णय होगा सर्वमान्य।
जब से पंचायती राज अधिनियम लागू हुआ है तब से ग्राम सभा का निर्णय को ही शासन प्रशासन एवं न्यायालय तक ने सर्वमान्य माना है जबकि वर्तमान समय में ग्राम सभा में हुए निर्णय सिर्फ नाम मात्र का रह जाने के कारण कई विवादों को फसाद बनते जा रहे है और ग्राम सभा पर सवाल भी उठ रहे है।