विधानसभा प्रत्याशी बनने के इच्छा जताने वाले नेता जनता के बीच जाकर सुधारें अपना छवि, फीड बैक अच्छा नहीं पी एल पूनिया।
विधानसभा प्रत्याशी आम जनताओं के मनसानूरूप और जीतने वाले प्रत्याशी को प्राथमिकता।
ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज जांजगीर चांपा::कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया हारी हुई सीटों का नब्ज टटोलने 19 सितंबर को यहां पहुंचे थे। पुनिया ने बूथ और मंडल स्तर के पदाधिकारियों की बैठक लेकर उनसे चर्चा भी की। पीएल पुनिया का दावा है, इस बार भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी और पहले के मुकाबले इस बार कांग्रेस की स्थिति बेहतर होगी। आपकों बता दें कि सक्ती से अलग होने के बाद जांजगीर चांपा जिले की एक भी सीट पर कांग्रेस काबिज नहीं है। यहां की जांजगीर चांपा और अकलतरा में भाजपा तो पामगढ़ सीट पर बसपा का कब्जा है। ऐसे हालात में कांग्रेस के लिए यहां खाता खोल पाना बड़ी चुनौती है।
जांजगीर चांपा जिले की तीनों सीटों की बात की जाए तो पामगढ में वर्ष 2003 के बाद एकबार भी इस सीट पर कांग्रेस काबिज नहीं हो सकी। यह सीट अक्सर बसपा और वर्ष 2013 में भाजपा के अंबेश जांगड़े ने इस सीट पर फतह की थी। अभी इस सीट पर बसपा का कब्जा है। इसी तरह अकलतरा में वर्ष 2003 से अब तक कांग्रेस ने दो बार जीत दर्ज की है। यदि जांजगीर चांपा सीट की बात करें तो 1998 में जिला बनने के बाद सबसे पहले भाजपा के प्रत्याशी नारायण चंदेल चुनाव जीते। इसके बाद 2003 में कांग्रेस के प्रत्याशी मोतीलाल देवांगन और उसके बाद फिर 2008 में नारायण चंदेल और 2013 में फिर से मोतीलाल देवांगन विधायक के रूप में चुने गए। जबकि अभी मौजूद विधायक भाजपा से नारायण चंदेल है। इस लिहाज से इस बार जांजगीर चांपा सीट पर कांग्रेस का कब्जा होना चाहिए। लेकिन बीते ढाई दशक से एक ही चेहरे के बार-बार आपस में लड़वाने से जनता भी त्रस्त हो चुकी है। ऐसे में इस बार नए चेहरे पर कांग्रेस को यहां दांव लगाना चाहिए। बताया जा रहा है कांग्रेस की बैठक में भी पुनिया के समक्ष यह बात खुलकर सामने आई। ऐसे में प्रदेश प्रभारी पुनिया को इस बार यहां प्रत्याशी का चयन बड़ी सावधानी और चालाकी से करनी चाहिए। जांजगीर चांपा सीट से कई दावेदार लाइन में है। नवागढ़, जांजगीर और चांपा से कई बड़े चेहरे हैं तो कुछ चेहरे सालों से लोगों के बीच जाकर काम भी कर रहे हैं। अब देखना काफी दिलचस्प होगा कि कांग्रेस यहां किस तरह दांव लगाती है।
कांग्रेस की हालत पतली
बताया जा रहा है पीएल पुनिया के समक्ष चांपा के पूर्व नपाध्यक्ष के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा सौंपा गया है, जबकि पूर्व नपाध्यक्ष सहित कुछ पार्षदों द्वारा पीएल पुनिया को पूर्व विधायक व नपाध्यक्ष चांपा के खिलाफ शिकायत की बात सामने आ रही है। चुनाव के ठीक पहले इस तरह आपस में ही शिकायतों की सूची सौंपा जाना कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं है। क्योंकि ऐसे हालात में एक बात तो तय है, विधानसभा की टिकट वितरण में जरा भी लापरवाही बरती गई तो यहां विपक्ष से ज्यादा पक्ष ही खतरनाक साबित हो सकता है।