पंचायत सचिवों की हड़ताल का 22वां दिन, ‘मोदी की गारंटी’ पूरी न होने पर सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

जांजगीर-चांपा। पंचायत सचिवों की एक सूत्रीय मांग शासकीयकरण को लेकर शुरू हुई हड़ताल सोमवार को 22वें दिन भी जारी रही। जिला भर के सैकड़ों पंचायत सचिवों ने एकजुट होकर बाइक रैली निकाली और एसडीएम कार्यालय पहुंचकर राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। सचिवों ने प्रधानमंत्री की ‘मोदी की गारंटी’ को याद दिलाते हुए कहा कि सरकार बनने से पहले जो वादे किए गए थे, उन्हें अब तक पूरा नहीं किया गया है।
पंचायत सचिव संघ के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह गहलोत ने कहा, “बीजेपी ने चुनाव से पहले ‘मोदी की गारंटी’ के तहत सचिवों के शासकीयकरण का वादा किया था। लेकिन सरकार बनने के बाद से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे में सचिवों में भारी आक्रोश है।”
हड़ताल के चलते पंचायतों का कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है। नवनिर्वाचित सरपंचों को अब तक प्रभार नहीं मिल पाया है, जिससे ग्रामीण विकास कार्यों पर सीधा असर पड़ रहा है। मनरेगा, पीएम आवास योजना, और अन्य योजनाएं पूरी तरह से अटकी हुई हैं। इससे ग्रामीण जनता भी प्रभावित हो रही है।
हड़ताली सचिव रितु सोनी ने कहा, “हम दिन-रात मेहनत कर पंचायतों को संचालित करते हैं, लेकिन हमारे भविष्य को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। अब अगर 20 अप्रैल तक हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो हम दिल्ली के जंतर-मंतर तक आंदोलन करेंगे।”
एक अन्य हड़ताली सचिव ने बताया कि सरकार की उपेक्षा से सचिवों का मनोबल टूट रहा है। “हम चाहते हैं कि हमें शासकीय कर्मचारी का दर्जा मिले, जिससे हमारे भविष्य को सुरक्षा मिल सके।”
सचिव संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा और जरूरत पड़ी तो राजधानी दिल्ली में भी विरोध दर्ज कराया जाएगा।