जांजगीर चांपा

निजी अस्पताल की लापरवाही से नवजात की मौत, समय पर जानकारी नहीं देने से नहीं ले जा सके दूसरे अस्पताल; मौत के बाद परिजनों से वसूले पैसे, पुलिस ने जांच शुरू की

जांजगीर। इलाज के नाम पर एक निजी अस्पताल की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। इस लापरवाही के चलते एक नवजात की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने समय पर मौत की सूचना नहीं दी, जिससे वे बच्चे को दूसरे अस्पताल नहीं ले जा सके। इतना ही नहीं, मौत के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों से इलाज के नाम पर पैसे वसूले।

यह मामला चांपा के एक निजी क्लिनिक का है, जहां जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद न होने की वजह से एक गर्भवती महिला को रेफर किया गया था। परिजन महिला को आनन-फानन में निजी क्लिनिक लेकर पहुंचे, जहां ऑपरेशन के जरिए डिलीवरी कराई गई।

डिलीवरी के बाद नवजात की हालत बिगड़ गई, जिसे जांजगीर के आयुष्मान हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। परिजनों का आरोप है कि इलाज से पहले आयुष्मान कार्ड से मुफ्त इलाज की बात कही गई थी, लेकिन मौत के बाद अस्पताल ने भारी राशि वसूल ली।

नवजात के पिता ने डॉक्टर आर.के. प्रसाद पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने नवजात की मौत की जानकारी छुपाकर ठगी की। शक होने पर परिजनों ने पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए नवजात का शव कब्र से निकाल कर पोस्टमार्टम कराया और अब मामले की जांच शुरू कर दी है।

पूर्व में भी सामने आ चुकी हैं शिकायतें

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहला मामला नहीं है। अस्पताल में इलाज में लापरवाही की कई घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। समय पर मरीजों को रेफर नहीं किया जाता, और देर रात तबीयत बिगड़ने पर जबरन रेफर कर दिया जाता है, जिससे परिजनों के पास कोई विकल्प नहीं बचता।

 

इसके साथ ही, आयुष्मान योजना के नाम पर इलाज का दिखावा कर लाखों रुपये का घोटाला किया जा रहा है। कई मामलों में मामूली बीमारी को गंभीर बताकर कार्ड के जरिए अधिक राशि शासन से वसूलने का आरोप भी लगा है।

फर्जी डिग्री का भी संदेह, कार्रवाई क्यों नहीं?

इलाके में डॉक्टर आर.के. प्रसाद की डिग्री को लेकर भी पहले से संदेह जताया जाता रहा है। लोगों का कहना है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस जांच नहीं की गई। सवाल यह है कि आखिरकार ऐसे डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं होती?जरूरत है सख्त कार्रवाई कीपरिजन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग है कि लापरवाही और धोखाधड़ी करने वाले डॉक्टर पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी और परिवार को इस तरह की पीड़ा न झेलनी पड़े।

 

 

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