
जांजगीर-चांपा जिले में हाल ही में हुए पटवारी के पदस्थापना आदेश पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। बताया जा रहा है कि लक्ष्मी तिवारी, जिन्हें लगातार तीन वर्षों तक एक ही स्थान पर रहने को लेकर विरोध के बाद हटाया गया था, उन्हें अब फिर से मनचाही पोस्टिंग मिल गई है। इस निर्णय ने पूरे राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है।स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि एसडीएम और तहसीलदार कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों की निगरानी में भी पूर्व में पटवारी द्वारा सरकारी दस्तावेज निजी ऑपरेटर के भरोसे रखने का सिलसिला चलता रहा है। इसका सीधा नुकसान आम जनता को उठाना पड़ता है, क्योंकि इस तरह से कई गोपनीय राजस्व जानकारी लीक होकर जमीन दलालों तक पहुँच जाती है। इन सूचनाओं का उपयोग कर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री, अवैध प्लॉटिंग और अन्य जमीन संबंधी गड़बड़ियां अंजाम दी जाती रही हैं। जांजगीर हल्का के रहवासी का कहना है कि जिन लोगों पर पूर्व में जमीन दलालों से सांठगांठ कर अवैध प्लॉटिंग कराने और राजस्व प्रणाली को प्रभावित करने के आरोप लगे हों, उन्हीं को फिर से जिम्मेदार पद पर पदस्थ करना गंभीर सवाल खड़े करता है। यही कारण है कि बाजारों में अब यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि इस पदस्थापना के बाद जमीन दलालों की सक्रियता और बढ़ सकती है।












