एक ऐसा युवा सीमांक, जिसके कार्य अनुकरणीय हैं, स्वामी सुरेन्द्र नाथ जी के मार्गदर्शन में चलकर, समाज में परिवर्तन की मशाल जला रहा है…

जांजगीर चांपा::आजकल के युवा, जहाँ एक ओर फैशन, टैटू, सोशल मीडिया पर शो ऑफ कर के कूल दिखने की चाह रखते हैं, वहीं इन सब से हट कर, जांजगीर का एक युवा जो यूँ तो एम बी बी एस का छात्र है, लेकिन उसकी विचारधारा और काम आम युवाओं से उसे अलग बनाते हैं। नाम है सीमांक राठौर स्वभाव से निडर किन्तु निस्वार्थ है, साधु संतों के सानिध्य में रह कर छोटी उम्र से ही, समाज के प्रति अपनी भूमिका का निर्वहन करने में तत्पर है। स्वामी सुरेन्द्र नाथ जी के मार्गदर्शन और सानिध्य में रहकर, उनके ही पदचिन्हों पर चलने वाला, जिसके मित्रों की टोली भी कमोबेश वैसी ही है, जो छोटे-छोटे समाजिक सरोकार के कार्य करते हैं, जैसे वर्ष की शुरुआत इन्होंने चौक चौराहों की सफाई की, हाइवे पर बैठे मवेशियों की किसी दुर्घटना से बचाव के लिए एक पहल की, खुद के व्यय से मवेशियों के गले में रेडियम पट्टा पहनाने की, अपना जन्मदिन प्रायमरी स्कूल के बच्चों में स्कूल किट बाँट कर मनाया, पिछले साल सावन का सोमवार स्कूल के बच्चों को भोजन करा कर मनाया।
इतना ही नहीं इनके जन्मदिन मनाने का एक संकल्प है, महाकाली आश्रम के बैनर तले, ये कभी वृद्धाश्रम में भोजन करा कर, कभी बच्चों को स्टडी किट बांटकर, कभी दिव्यांग बच्चों को भोजन करा कर, कभी सड़को की सफाई कर, और अक्सर तीज-त्यौहारों में प्रसाद वितरण कर सेलिब्रेट करते हैं।
सीमांक और इनके मित्रों की टोली जो इतने कम उम्र में समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव रखते हैं, बेशक उनके कार्य छोटे हैं, किन्तु प्रभाशील हैं, जो अन्य युवाओं के लिए अनुकरणीय है, ऐसे युवा यदि हों तो समाज को नई दिशा मिलेगी, अच्छे कार्यों को बढ़ावा देना, समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना बहुत समझदारी भरा कार्य है, हमें सीमांक जैसे सोच रखने वाले युवाओं की आवश्यकता है।