कांग्रेस की स्क्रिंग कमेटी का निर्णय कही लोक सभा में खुद के लिए भारी ना पड़ जाए जांजगीर चांपा से 7 बार के सांसद पुत्र से बीजेपी के बाहरी नेता भी जीत गए,,
@VIJAY DUBEY JAJWALYA NEWS::लोक सभा चुनाव 10वर्ष बाहर रहने के बाद सत्ता में वापसी करने को बेताब कांग्रेस पार्टी मे एक अफरा तफरी का माहौल के बाद अब छत्तीसगढ़ से सत्ता चली गई है आलम यह है छत्तीसगढ़ की जनता 5वर्ष में ही कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बेदखल कर बीजेपी को पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का मौका दिया ऐसे कांग्रेस के बड़े बड़े कार्यकर्ता बीच मजधार में छोड़ अपने को किनारा कर लिया तो कइयों ने पार्टी से टिकट ना मिलने से नाराज अन्य पार्टी से चुनाव लड़ अलग हो गए आलम यह है कि जिन चेहरे पर विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली और कई प्रत्याशी मंत्री रहते हुए अपना विधायिकी नही बचा पाए उन चेहरे को लोकसभा का प्रत्याशी बनाना यह साबित कर दिया की उनके एकाधिकार कार्यकर्ता को दरकीरनार करना और अलग करने के लिए काफी है कइयों के का क्षेत्र बदल रहा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सबसे बड़ा चेहरा माने जाने वाला पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और TS बाबा चरण दास महंत तिकड़ी के पास ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस का हर निर्णय इर्द गिर्द वर्षो से घूमती रही है और इस बार कांग्रेस के अन्य कार्यकर्ता को लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन कांग्रेस के रणनीति चेहरे पर टिकी हुई जिनके भरोसे विधानसभा में करारी हार मिली थी भूपेश बघेल अपने क्षेत्र के बाज़ार राजनांदगांव से मैदान पर उतारे जा रहे हैं तो स बाबा को बिलासपुर वहीं शिवडहरिया को जांजगीर चांपा तो विकास उपाध्याय रायपुर से कोरबा से ज्योत्सना महंत को पुनः टिकट देने की बात सामने आया है हालंकि अभी पार्टी द्वारा घोषणा करना बाकी है भाई जांजगीर चांपा में एक शोर से बाहरी प्रत्याशी के उतारे जाने विरोध का बिगुल बज चुका है विगत 20 सालों से कांग्रेस पार्टी को सशक्त चेहरा नहीं मिलने के कारण बीजेपी का कब्जा रहा है ऐसे में पुनः जांजगीर चांपा लोकसभा सीट कांग्रेस के हाथ से फिसल जाए और बीजेपी को पुनःवाक ओवर मिल जाए 2019 की लोकसभा चुनाव में गुहा रामअजगले को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया जिसमें जोर-शोर से बाहरी प्रत्याशी का विरोध हुआ बावजूद उसके कद्दावर नेता और 7बार के सांसद रहे परसराम भारद्वाज के पुत्र रवि शेखर भारद्वाज को कांग्रेस ने मौका दिया बावजूद वह भारी मतों से चुनाव हार गए ऐसे में इस बार कांग्रेस को बाहरी नेता को उतरना महंगा पड़ सकता है अब देखने वाली यह बात होगी कि छत्तीसगढ़ में आज सभी 11 सीटों के नाम कांग्रेस ने तय कर नाम का इलाज करेंगे इसके बाद अपने रणनीति पर किस तरह काम करेगी और बीजेपी की 11 सीट जीतने की हुंकार में कितनी सफल होगी या तो छत्तीसगढ़ की जनता समय पर ही बताया कि आखिर किसको चुनेगी,,