वन्यजीव वनों के शान होते है। ऐसे में वन्यजीवों बेवक्त मौत या शिकार निश्चित ही संगीन अपराधों में से एक है।घटना मुंगेली जिले के लोरमी क्षेत्र के परसवारा जंगल का है । जानकारी के अनुसार घटना बीते 4 दिनों पहले का है। जहां परसवारा बीट के गार्ड ललित बंजारे को मौके पर चौकीदार के माध्यम से सूचना प्राप्त हुआ कि इंडियन गौर (बायसन) मृत अवस्था में पड़ा हुआ मिला है। क्षेत्र में कार्यरत में तैनात फायर वाचर होरीलाल और वेदराम ने गार्ड पर आरोप लगाया है कि इस घटना की सूचना तुरंत वनरक्षक को दिया गया। लेकिन गार्ड ललित बंजारे और वनपाल सावित ध्रुव द्वारा संबंधित परिक्षेत्र अधिकारी को समय पर सूचना नही दिया गया। जबकि वनपाल द्वारा उपवनमंडालाधिकारी लोरमी को सूचना मौके पर दे दिया गया। वरिष्ठ अधिकारी ने प्राकृतिक मौत का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया। DFO को इसकी जानकारी दी जाती तो तत्काल कोई कार्यवाही की जा सकती थी.यहां तक रेंजर को भी जानकारी प्राप्त नही थी । वरिष्ठ अधिकारियों के कथन के अनुसार गार्ड ललित बंजारे द्वारा वनभैंसे के मौत के मामले को दबाने से जांच में विलंब हुआ है। उसके द्वारा किसी भी प्रकार से लिखित या फ़ोन के माध्यम से रेंजर और DFO को सूचना नही भेजा गया। सूचना में इस विलंब के कारण जांच की कार्यवाही में विलंब हुआ।
मौके पर जांच व डॉग स्क्वाड टीम-
रेंजर को सूचना मिलने पर DFO को सूचित किया गया। वनमंडलाधिकारी ने तत्काल जांच के निर्देश दिए। पशु चिकित्सको की टीम गठित कर पोस्टपार्टम किया गया और जांच के लिए भेजा जा चुका है।
अब आखिरी में इस घटना को लेकर फ़ायरवाचर का कहना है कि इसकी सूचना संबंधित वनरक्षक को पांच दिन पहले ही दे दी गई थी। जबकि परिसर रक्षक ललित बंजारे व परिक्षेत्र सहायक का कहना है कि उन्होंने मौके पर ही उपवनमंडलाधिकारी मानवेन्द्र कुमार को इसकी सूचना दे चुके थे। जबकि परिक्षेत्र अधिकारी लोरमी को इसकी सूचना कल प्राप्त होता है और संज्ञान लेते हुए वनमंडलाधिकारी को 8.3.2023 को सूचित किया जाता है। हालांकि आज पोस्टमार्टम के बाद बायसन का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अब सवाल यह है कि क्या फायर वाचर ने जो वनरक्षक के ऊपर और वनरक्षक ने गार्ड के ऊपर मामले को हल्के में लेने का जो आरोप लगाया है । इससे अभियुक्त तक पहुचने में काफी देरी हुई है। ऐसे में दोषी कौन ?