जांजगीर चांपा

उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को दो हफ्ते के भीतर शपथ पत्र दायर करने का दिया आदेश।

छग दिव्यांग सेवा संघ ने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी के संबंध में लगाई है याचिका।

 

जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने छग़ उच्च न्यायालय में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर बड़ी संख्या में लोगों के सरकारी नौकरी में होने के संबंध में जनहित याचिका लगाई है, जिस पर उच्च न्यायालय ने दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच करने के संबंध में छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव को दो हफ्ते के भीतर शपथ पत्र दायर करने का आदेश दिया है।

जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने छग उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है कि फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर बड़ी संख्या में सरकारी नौकरी में लोग नौकरी पा जा रहे हैं, जिससे वास्तविक दिव्यांगजनों के अधिकारों का हनन हो रहा है एवं अस्थाई सर्टिफिकेट के आधार पर भी आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2019 में राधाकृष्ण गोपाल ने छग उच्च न्यायालय में जनहित याचिका क्रमांक 14 ऑफ 2019 दायर किया था, जिसमें छग उच्च न्यायालय ने यह कहा कि जब कभी भी दिव्यांग सर्टिफिकेट के दुरुपयोग की शिकायत की जाए, तब प्राधिकृत अधिकारियों को उस पर कार्यवाही करनी है, जिससे फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर कोई भी व्यक्ति नौकरी ना पा सके। उक्त आदेश के परिपालन में छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव द्वारा मई 2019 में सर्कुलर जारी किया गया कि दिव्यांगजनों को शासकीय कल्याणकारी योजनाओं एवं रोजगार का लाभ देने के पूर्व जिला मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी विकलांग प्रमाण पत्र का सूक्ष्म परीक्षण करा लेवें तथा सुनिश्चित करें कि विकलांग प्रमाण पत्र निःशक्त व्यक्ति अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों के अनुरूप ही है एवं उसका उपयोग वास्तविक दिव्यांगजन ही कर सकें। किंतु, इस सर्कुलर के जारी होने के चार वर्ष बीत जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं होने पर छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के उपाध्यक्ष राधाकृष्ण गोपाल ने अधिवक्ता संघर्ष पांडे के माध्यम से छग उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें छग उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच द्वारा छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव को यह आदेशित किया गया है कि वे दो हफ्ते के भीतर अपना शपथ पत्र दायर कर यह बताएं कि दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच के लिए क्यों कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं। संघ के उपाध्यक्ष राधाकृष्ण गोपाल ने बताया कि यदि शासकीय सेवा के लिए उपयोग किए गए दिव्यांग प्रमाण पत्रों की बारीकी से जांच की जाए तो अधिकांश प्रमाण पत्र फर्जी निकलेंगे और शासन-प्रशासन के विभिन्न पदों पर सेवारत कई अधिकारी-कर्मचारियों पर फर्जीवाड़ा का केस दर्ज हो सकता है। उन्होंने बताया कि शासन स्तर पर इस महत्वपूर्ण विषय पर किसी प्रकार का कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने के कारण छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ द्वारा अब छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की शरण ली गई है।

 

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