
क्या इसी दिन के लिए लोगो ने विधायक चुने जांजगीर-चांपा में करप्शन के बादल शेयर मार्केट से लेकर रेत माफिया तक कांग्रेस विधायकों पर गंभीर आरोप, जिला शर्मसार — अब राजनीति इस संकट से कैसे उबरेगी?
जांजगीर-चांपा :
लोकसभा क्षेत्र जांजगीर-चांपा की राजनीति इन दिनों विवादों और घोटालों के काले साए में है। जनता जिन निर्वाचित प्रतिनिधियों से विकास और पारदर्शिता की उम्मीद करती रही, वही विधायक अब आरोप-प्रत्यारोप और करप्शन की खबरों से जिले को शर्मसार कर रहे हैं।
कभी पीयूष जायसवाल के शेयर मार्केट और निवेश घोटाले में हजारों करोड़ की ठगी के मामले में कांग्रेस विधायकों के नाम जुड़े। इस कड़ी में जैजैपुर विधायक बालेश्वर साहू पर भी गंभीर सवाल खड़े हुए। वहीं कांग्रेस नेता रामकुमार यादव नोटों के गड्डी के साथ कैमरे में कैद हुए, जिससे पार्टी की छवि धूमिल हुई।
इसके अलावा विधानसभा सचिव दिनेश शर्मा द्वारा कमीशन लेने का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत का नाम खिंचाई में आया। इन घटनाओं ने जिले की राजनीति को बार-बार कटघरे में खड़ा किया।
अब सबसे ताजा विवाद ने जिले की सियासत को हिला दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल पामगढ़ विधायक शेषराज हरवंश का कथित ऑडियो सामने आया है, जिसमें वे रेत माफिया राघवेंद्र सिंह से सौदेबाजी करते सुने जा रहे हैं। आरोप है कि ऑडियो में विधायक 5 लाख खुद के लिए और 5 लाख कलेक्टर व एसडीएम के नाम पर2,2लाख रुपए जबकि राघवेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति के लिए 1 लाख रुपए मासिक कमीशन ऑडियो तय किया गया था। इस खुलासे ने जिले की राजनीति को हिलाकर रख दिया और जनता का सिर शर्म से झुका दिया।
हालांकि विधायक शेषराज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस आडियो को फर्जी बताते हुए सफाई दी और FIR दर्ज कराने की बात कही, लेकिन अब तक कार्रवाई का कोई ठोस कदम सामने नहीं आया। विपक्ष भाजपा ने सवाल उठाया है कि अगर आरोप निराधार हैं तो FIR दर्ज करने में देरी क्यों की जा रही है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस जब अपने ही नेताओं के आरोपों से घिरती है तो जनता का ध्यान भटकाने के लिए विपक्ष पर निशाना साधती है। लेकिन अब हालात ऐसे बन गए हैं कि करप्शन का दाग मिटने की बजाय और गहराता जा रहा है।
👉 कुल मिलाकर, पीयूष जायसवाल के शेयर मार्केट घोटाले से लेकर पामगढ़ विधायक शेषराज के रेत माफिया से जुड़े कथित सौदे तक, इन विवादों ने जांजगीर-चांपा की राजनीति को संकट में डाल दिया है। अब जिले की जनता सिर्फ बयानबाजी या प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं, बल्कि ठोस जांच और कड़ी कार्रवाई की उम्मीद कर रही है। आने वाले चुनावों में यही सवाल कांग्रेस और अन्य पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होंगे।












