2 की मौत दर्जन भर से अधिक लोग झुलसने का न्याय 5 माह बाद चंद घंटों की गिरफ्तारी, का इंसाफ वो भी ‘छुपाकर’ विज्ञप्ति जारी किया खाना पूर्ति।

जांजगीर चांपा 5 महीने पुराने PIL प्लांट भीषण हादसे में आखिरकार गिरफ्तारी हुई… लेकिन सिर्फ कागजों में!
हैरानी की बात ये है कि गिरफ्तारी 16 जुलाई को हो गई थी, मगर पुलिस की विज्ञप्ति अब, लगभग एक हफ्ते बाद जारी की गई – और इसी ने अब पुलिस की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या पुलिस जानबूझकर समय निकाल रही थी ताकि मामला ठंडा पड़े?
या फिर प्लांट प्रबंधन और जिम्मेदारों को बचाने के लिए ‘कानूनी प्रक्रिया’ को शील्ड की तरह इस्तेमाल किया गया?12 अप्रैल को हुए इस भयानक हादसे में फर्नेस से निकले गर्म मेटल और गैस की चपेट में आकर 13 श्रमिक झुलस गए थे, जिनमें से 2 की मौत हो चुकी है – मैनेजर अनूप चतुर्वेदी और श्रमिक सुरेश कुमार चंद्रा अब इस दुनिया में नहीं हैं।हादसे की जांच में मानक संचालन प्रक्रिया का घोर उल्लंघन, मशीनों की खराबी को नजरअंदाज करना, और कार्यस्थल पर सेफ्टी की अनदेखी साफ उजागर हुई।इसके बावजूद, पुलिस ने केवल धारा 287, 289, और 125 BNS लगाकर PIL प्लांट के दो जिम्मेदार अधिकारियों – प्रबंधक उदय सिंह और अधिभोगी संजय जैन – को गिरफ्तार किया, और कुछ घंटों बाद ही चुपचाप जमानत दिलाकर छोड़ भी दिया गया।
अब जब हादसे के 5 महीने और गिरफ्तारी के 7 दिन बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी हुई है, सवाल उठता है कि क्या यह जांच है या सिर्फ खानापूर्ति?क्या दो लोगों की मौत और दर्जनों ज़िंदगी खतरे में पड़ने के बाद यही होता है इंसाफ का तरीका?
“हादसा भीषण था, ज़िम्मेदारी स्पष्ट थी – लेकिन कार्रवाई सिर्फ दिखावटी। क्या अब भी यही होगी सिस्टम की ‘सेफ्टी प्रोटोकॉल’?”
अब प्लांट में कई मशीनें जर्जर है और इस स्थिति में भी प्लांट के कार्य चल रहे है कभी भी बड़े हादसा हो सकता है आखिर इसके जिम्मेदार कौन होंगे।












