इतिहास शिक्षण एक बड़ी चुनौती, कैसे करे उपाय : अवधेश राठौर।
आज के समय में इस तरह के शिक्षक मिलना,विद्यार्थी के लिऐ किसी वरदान से कम नहीं।
ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज हिम्मत सच कहने की,जांजगीर–चांपा
पाठ्यपुस्तक परिवर्तन और वर्तमान परिवेश में इतिहास शिक्षण एक नई चुनौती बनी है जिसे सहजता और सजगता से दूर की जा सकती है. उक्त विचार अवधेश कुमार राठौर व्यारव्याता इतिहास, राज्य स्तरीय उपचरात्मक शिक्षण कार्यशाला रायपुर से प्रशिक्षित, शिक्षण उपचारात्मक प्रशिक्षक जिला जांजगीर-चांपा द्वारा व्यक्त की गई.
कोरोना काल के कठिन संकट की परिस्थिति में 2021 में कक्षा दसवी से बिना बोर्ड परीक्षा दिलाये एवं 2022 में भी कोरोना संकट के साये से न उबर पाने के कारण बारहवी पहुंचे बच्चों की है. जो बच्चे कक्षा दसवीं में अच्छे अंक प्राप्त करते है वो अमूमन गणित या विज्ञान विषय का चयन कर लेते है परन्तु कमजोर विद्यार्थी जो सिर्फ उतीर्ण होना चाहते है या होन हार छात्र छात्राए जो लोक सेवा आयोग परीक्षा की तैयारी करना चाहते है वही विद्यार्थी कला विषय का चयन करता है जो कला विषय के अध्ययन में विषम परिस्थिति बन जाता है.2019 के बाद छ. ग. शासन द्वारा एन. सी. ई. आर. टी. बुक को हायर सेकंडरी में लागू करने के बाद ग्रामीण स्कूल क्षेत्र मे इतिहास एक जटिल और कठिन विषय बनकर रह गया है. इस चुनौति की सामना करने के लिए हमारे सामने बहुत सारी समस्याएं है जिसका निदान भी है.इसके लिए हमे बड़े और कड़े कदम उठाने होगे.
पहला समस्या बच्चो की उपस्थिति को लेकर है. गांव के अधिकांश बच्चे खेती बाड़ी में सहयोग देने, घर में किसी सदस्य के बीमार होने, घर में छोटे बच्चों देखभाल, करने के नाम पर विद्यालय नही आते. विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति शतप्रतिशत नही होती. ऐसे में हम इन बच्चो का एक वाट्सअप ग्रुप बना कर ,इसके पालको से संपर्क स्थापित कर, बच्चो से व्यक्तिगत चर्चा कर, प्रोजेक्ट कार्य में उनकी सहभागिता में अंक निर्धारित कर, उनके योगदान आधार पर प्रोजेक्ट कार्य अंक बाटकर , अनुत्तीर्ण हो जाने की भय दिखा कर, प्रोत्साहित कर, उनकी उपस्थिति को बढ़ाने की कोशिश की जा सकती है.
दूसरी समस्या है साक्षरता के पीछे छिपी निरक्षरता कुछ बच्चे इतने कमजोर होते है जो लिख और पढ़ नही पाते ,अक्षर ज्ञान, मात्राओं की जानकारी नही होती. ऐसे बच्चो के लिए ब्लेम गेम नही होनी चाहिए बल्कि कठिन शब्दो को ग्रीन बोर्ड मे लिखाते हुए,मात्राओ की जानकारी, मात्राओ के बदलने से अर्थ की विभिन्नता परिलक्षित करते हुए हमे समझाना होगा .मसलन राम और रम में , कली और कलि, बाड़, बाढ़ और बाण जैसे शब्दों का बेसिक अंतर समझाए. जिससे उनकी झिझक और भ्रांति दूर हो सके और उनकी लेखन ,पठन में रुचि बढ़ सके. तीसरी समस्या है इतिहास की पुस्तक उपलब्धता की. इतिहास पुस्तक जो एन. सी.ई.आर. टी.की कक्षा बारहवी की है तीन भाग है जो छ. ग. एस. सी. ई.आर. टी. ने अपनाई है आसानी से बुक डिपों में मिलता नही है.अमूमन निजी प्रकाशकों की गाइड और बुक से बाजार भरी पड़ी है .जहां एन. सी. इ. आर. टी. इतिहास बुक की भाषाएं क्लीष्ट है, वहीं निजी प्रकाशक इसे सरल ढंग मे लिखकर विद्यार्थी और शिक्षक दोनों का ध्यान आकृष्ट किया है.बच्चे इन गाइड के प्रश्नों को याद करते है पर वही बच्चे जब परीक्षा दिलाता है तो अतिलघुतरीय प्रश्न हल नही कर पाता क्योंकि ये प्रश्न एन. सी. ई.आर. टी. बुक से तैयार की जाती ये बुक तथ्यात्मक और सारगर्भित होने के कारण प्रत्येक पंक्ति एक प्रश्न बन जाता है. इस समस्या को दूर करने इतिहास बुक का पीडीएफ भेजकर पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे और हर टॉपिक का कठिन शब्दों का संकलन उनके नोट्स मे लिखा कर उन शब्दों का परियाय और सरल अर्थ बताए .
चौथी समस्या है बच्चों का प्रश्न बैंक, गाइड पर अत्यधिक निर्भर रहना. इतिहास विषय में ज्ञान और तथ्य का भंडार है. गाइड और प्रश्न बैंक में बहुत सारे उत्तर गलत छपे होते है जिसे बच्चे सही मान लेते हैऔर पुस्तक से उसका मिलान करने कीं जरूरत भी महसूस नहीं करते .यदि बच्चे गाइड रखते है तो, हमे चाहिए उस गाइड के प्रश्नोबर को उन्हें बुक से मिलान करते हुए हाईलाइटर पेन द्वारा उन्हें चिन्हाकित करने और प्रश्नो के सही उत्तर बुक से याद करने की सलाह दे क्योंकि उत्तर पुस्तिका की जांच में एन. सी. इ. आर. टी. इतिहास बुक को आधार मानकर किया जाता है.
पांचवी समस्या है इतिहास के प्रश्न पत्र के प्रारूप को समझाने की .इतिहास विषय में 31 प्रश्न पूछा जाता है .20 प्रश्न एक अंक का, 4 प्रश्न 3 अंक का ,4 प्रश्न 6 अंक का (जिसमे एक प्रश्न नक्शा भरने के लिए)3 प्रश्न 8 अंक का जिन्हें क्रमश:अधिकतम 20,50, 200 और 300 शब्दों में लिखना होता है .इस प्रकार पूरे उत्तर पुस्तिका में अधिकतम 2300
शब्द लिखना होता है. एन. सी. ई.आर. टी. बुक में व्याख्यात्मक जानकारी नहीं होती इसके लिए विद्यार्थी का समझ विकसीत करना होगा जिसके लिए यू ट्यूब, मोहनजोदड़ो, मंगलपांडे ,मणिकर्णिका ,गांधी जैसी मुवी बच्चों को दिखाए या उन्हें देख की सलाह दे.अभ्यास के लिए उन्हें एक दिन पूर्व कम से कम दो प्रश्न 300 शब्द में लिखने को दे. जिसे वह प्रतिदिन कक्षा पिरियेड में लिखकर दिखाए.जिससे उनका व्याख्यात्मक शैली का विकास हो सके.
छठवीं समस्या है किस चैप्टर को कितना पढ़े .बारहवीं इतिहास में कुल 16 चेप्टर है. किस चेप्टर से कितना अंक का प्रश्न आयेगा इसकी जानकारी हम बच्चों को जरूर दे .जिस चेप्टर से अधिक अंक का प्रश्न पूछा जाता है उसे महत्वपूर्ण मानकर ज्यादा पढ़ाई और अभ्यास कराई जाए.