जांजगीर चांपा

रेफरल के नाम पर रेगुलर लापरवाही!बीडीएम अस्पताल ने मासूम को लौटाया, निजी अस्पताल भेजने की सलाह… इलाज के इंतज़ार में मासूम ने तोड़ा दम।

चांपा नगर स्थित बीडीएम शासकीय अस्पताल एक बार फिर अपने अमानवीय रवैये को लेकर सुर्खियों में है। इस बार लापरवाही की कीमत एक मासूम ने अपनी जान देकर चुकाई। 28 जुलाई की रात भोजपुर निवासी निखिल देवांगन अपने 22 माह के बेटे आयुष को सांप के काटने के बाद लेकर बीडीएम हॉस्पिटल पहुंचे थे। लेकिन अस्पताल में मौजूद स्टाफ ने इलाज करने की बजाय उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि एंटी स्नेक वेनम मौजूद नहीं है और डॉक्टर भी उपलब्ध नहीं हैं।

हैरानी की बात तो यह है कि स्टाफ ने बच्चे को तत्काल किसी निजी अस्पताल ले जाने की सलाह देकर वहां से भगा दिया। इलाज की आस में जब तक पिता अपने मासूम को निजी अस्पताल ले जाते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सही वक्त पर इलाज न मिलने से बच्चे की मौत हो गई।

इस घटना ने जिला स्वास्थ्य व्यवस्था और बीडीएम अस्पताल की असलियत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी लोगों को जागरूक करते हैं कि सांप काटने पर तुरंत अस्पताल पहुंचे, वहीं दूसरी ओर अस्पताल खुद मरीजों को वापस लौटा रहा है।इस दर्दनाक मौत के बाद भी बीडीएम अस्पताल के जिम्मेदार डॉक्टर और स्टाफ चुप्पी साधे हुए हैं। अस्पताल प्रबंधन ने न तो कोई बयान दिया और न ही कोई जिम्मेदारी ली। अब सवाल यह है कि क्या इस घटना पर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कोई संज्ञान लेगा, या फिर यह मामला भी बाकी घटनाओं की तरह फाइलों में दफन कर दिया जाएगा?

बीडीएम अस्पताल की ये बेरुखी सिर्फ एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता को उजागर करती है।

 

 

 

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