जांजगीर चांपा

परिवहन कार्यालय में दलालों का बोलबाला, आम लोगों की सुविधा धरी रह गई — अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा खेल।

जांजगीर-चांपा परिवहन कार्यालय आम जनता के लिए सुविधा देने के नाम पर खोला गया, लेकिन हकीकत इसके उलट है। यहां आवेदकों से ज्यादा दलालों का कब्जा दिखाई देता है। परिवहन अधिकारी और कर्मचारियों की खुली छूट और संरक्षण के कारण दलालों का साम्राज्य स्थापित हो चुका है।

कार्यालय का हाल यह है कि आम लोग घंटों लाइन में लगने के बाद भी फाइल अटक जाती है, दस्तावेजों की कमी बताकर बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। जबकि वही काम दलाल महज कुछ घंटों में निपटा देते हैं। आरोप है कि दलालों के पास सीधे व्हाट्सएप से भेजे गए दस्तावेजों को ही सर्टिफाइड कर लिया जाता है और लाइसेंस या ट्रांसफर तुरंत मंजूर कर दिया जाता है।

सूत्रों के मुताबिक, दलालों के जरिए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने का रेट 4500 से 5000 रुपये तक तय है। गाड़ी ट्रांसफर में भी यही खेल जारी है—जहां नियम के अनुसार क्रेता और विक्रेता का वेरिफिकेशन अनिवार्य है, वहीं दलालों के जरिए बिना हाजिरी के ही ट्रांसफर संभव हो जाता है।

इस पूरी प्रक्रिया से दोहरी मार जनता पर पड़ रही है—

? एक ओर नियम-कायदों की आड़ में आम आवेदक परेशान।

? दूसरी ओर कमीशनखोरी और दलाल तंत्र के भरोसे आम आदमी मजबूर।

सबसे खतरनाक पहलू यह है कि बिना प्रशिक्षण और बिना मापदंड पूरा किए ही लाइसेंस जारी हो रहे हैं। यही कारण है कि सड़क दुर्घटनाओं में अनुभवहीन चालकों की लापरवाही साफ दिखाई देती है।

जनता अब सवाल पूछ रही है कि—

? परिवहन कार्यालय आखिर किसके लिए चल रहा है?

? क्यों नियम आम आदमी के लिए और छूट दलालों के लिए है?

? क्या परिवहन अधिकारी इन सबमें सीधे संलिप्त नहीं?

लोगों की मांग है कि पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दलालों के नेटवर्क को खत्म कर आम जनता को सीधी सुविधा दी जाए।

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