जांजगीर चांपा

त्रिग्रही योग में मनेगा महाशिवरात्रि का पर्व कल आकर्षक लाइटिंग के साथ पीथमपुर कलेश्वरनाथ में की गई नई साज-सज्जा।

@ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज हिम्मत सच कहने की,जांजगीर–चांपा।

भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का दिन

महाशिवरात्रि के पर्व पर इस साल त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है, जिससे यह पर्व इस बार बेहद खास माना जा रहा है। कुंभ राशि में न्याय के देवता शनि के साथ ग्रहों के देवता सूर्य, चंद्रमा के साथ विराजेंगे, जो अति दुर्लभ संयोग माना जा रहा है। जिला मुख्यालय के समीप बाबा कलेश्वरनाथ मंदिर पीथमपुर में आकर्षक लाइटिंग के साथ पर्व को लेकर नई साज-सज्जा की

महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत सी कहानियां वर्णित की गई है। इन्हीं में से एक क कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था। फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने बैरागी छोड़कर माता पार्वती के संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इसी वजह से हर वर्ष फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा मानते हैं कि इस दिन भगवान शिव की हृदय से पूजा अर्चना की करने से तमाम तरह की वैवाहिक जीवन से है जुड़ी परेशानियां दूर होती है और दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि आती है। ऐसा भी मानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन ही सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। कई लोग 12 ज्योतिर्लिंग के प्रकट होने की खुशी में

गई है। इसी तरह जिले के सभी शिवालयों में पर्व को लेकर विशेष व्यवस्था की गई। है। वैसे तो भगवान शिव की पूजा आराधना और विशेष कृपा पाने के लिए सावन का महीना उत्तम माना जाता है, लेकिन इसके अलावा प्रदोष व्रत सोमवार मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के पर्व का भी विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।

 

महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाते हैं। : महा शिवरात्रि व्रत :

 

महाशिवरात्रि पर देशभर के सभी

 

साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के अनुयाई विशेष पूजा अर्चना करते हैं और उपवास रखते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पित करके मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि के त्योहार पर भगवान शिव की पूजा उपासना करने से दुखों को खत्म किया जा सकता है। भगवान शिव की आदि गुरु का दर्जा दिया गया है जो जान और विवेक के सृजनहार माने जाते हैं।

 

शनिवार 18 फरवरी दिन

 

ज्योतिर्लिंगों और शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां पर लोग शिवलिंग का जलाभिषेक विधि विधान से करते हैं। लक्ष्मणेश्वर मंदिर खरौद लिंगेश्वर महादेव नवागढ़, कलेश्वरनाथ पीथमपुर सहित शिवालयों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से रहती है हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व को बेहद पवित्र माना जाता है और इसे धूमधाम के

 

-चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- शनिवार 18 फरवरी को

 

रात्रि 8.02 बजे से चतुर्दशी तिथि समापन-

 

बाबा

 

रविवार 19 फरवरी को शाम 4.18 बजे

 

-निशिधकाल पूजन समय-

 

मध्यरात्रि 12.09 से 1 बजे तक कुल अवधि – 51 मिनट

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