गुप्त नवरात्रि का गुप्त रहस्य जाने क्या है स्वामी सुरेन्द्र नाथ।

जांजगीर-चांपा::जाज्वल्य न्यूज़:: भारत भूमि सनातन संस्कृति की ऐसी श्रृंखला का नाम है जो न सिर्फ धार्मिक परम्परा का निर्वहन करती है, बल्कि ये पर्व व पम्पराएँ वैज्ञानिक आधार पर भी खरे उतरते हैं। हमारे हिन्दू परम्परा में व्रत त्यौहार और उपासना विधि नितांत वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हैं। अलग-अलग व्रतों और त्यौहारों के आध्यात्मिक लाभ के साथ साथ स्वास्थ्य लाभ भी अंतर्निहित हैं।
शक्ति पूजा नवरात्रि में की जाती है लेकिन केवल दो नवरात्रि ही आम जनमानस द्वारा मनाई जाती है, जिसे प्रत्यक्ष नवरात्रि कहा जाता है, जबकि शास्त्रों के अनुसार यह चार प्रकार की होती है, माध और असाढ़ माह में पड़ने वाली शेष दो नवरात्रियों को गुप्त नवरात्रि के रूप में जाना जाता है। पौराणिक किदवंति है कि, इस नवरात्रि को लेकर कई तरह के रहस्य हैं, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
पौराणिक ग्रंथाें के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है, लेकिन गुप्त नवरात्रि में आदिशक्ति माँ दुर्गा की पूजा भी गुप्त तरीके से की जाती है, अर्थात इस दौरान तांत्रिक क्रिया कलापों द्वारा माँ की विशेष आराधना की जाती है। शक्ति उपासना द्वारा तंत्र-शक्ति अर्जित करने व उसमें संवृद्धि करने के लिये गुप्त नवरात्रि के ये नौ दिन शक्तिशाली काल माने जाते हैं। इसलिए साधक इतनी गोपनीयता बरतते हैं कि किसी को पता नहीं लगने देते कि वे साधना कर रहे हैं।
नवरात्रि में जहां देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है वहीं गुप्त नवरात्रि में दसमहाविद्याओं -“काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, ध्रूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी” माँ के दस रूपों की साधना की जाती है। साधना के समय मन्त्रों के जाप का बहुत महत्व है। गुप्त नवरात्रि में शक्ति की साधना अत्यंत ही गोपनीय रूप से की जाती है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि की पूजा को जितनी ही गोपनीयता से किया जाता है साधक को उतना ही लाभ प्राप्त होता है। साधक को बेहद कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है, लंबी साधना के बाद ही दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति होती है।
वर्ष 2022 में पहली गुप्त नवरात्रि माघ मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा 02 फरवरी 2022 को पड़ेगी। इस वर्ष ग्रहों एवं नक्षत्रों का संयोग अद्भुत है, सूर्य, बुध एवं शनि मकर राशि में गोचर करेंगे, इसमें मकर शनि के स्वामित्व की राशि है। सूर्य व शनि एक साथ एक ही राशि में होंगे जिससे तंत्र क्रियाएं सहजता से हो सकेंगी।
इस गुप्त नवरात्रि की साधना साधारण व्यक्ति भी किसी विशेष मनोकामना के लिए कर सकता है। यदि प्रचंड आय के साधन की चाह हो तो इस नवरात्रि में
पूजा स्थान पर अष्टधातु का सिद्ध किया हुआ श्रीयंत्र स्थापित कर पूजन करें, सफलता अवश्य मिलेगी।
विधि-विधान का पालन करते हुए सच्ची श्रद्धा और अखण्ड विश्वास से साधना करने पर,न्यायलयीन प्रकरणों या मुकदमों में विजय, संतान सुख, मारण, उच्चाटन, विद्वेषण, मोहन, पारिवारिक कलह, व्यापार में हानि, नौकरी में पदोन्नति प्राप्त होती है, और अकाल मृत्यु के कारक समाप्त होते हैं, राजनीति में सफलता प्राप्त होती है।
माघ मास की गुप्त नवरात्रि की साधना के लिए कलश स्थापना 02 फरवरी 2022 को प्रात:काल 06:56 से 08:31 के करना अत्यंत शुभ फलदायी रहेगा। जैसे प्रत्यक्ष नवरात्रि की पूजा की जाती है उसी विधी से पूजा की जाएगी, यदि लक्ष्मी प्राप्ति की इच्छा हो तो कलश स्थापना के साथ ही लाल आसन पर श्रीयंत्र स्थापित कर पूजन करें, ध्यान रखें श्रीयंत्र सिद्ध किया हो, सफलता अवश्य मिलेगी। अंतिम दिन कलश को किसी पवित्र स्थान पर विसर्जन करें। यदि पूजन करते समय परिवार के सभी सदस्य शामिल हो सकें तो परिवार में सुख, शांति, हर्ष, उल्लास और सफलता बनी रहेगी।











