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मालखरौदा के पिरदा गांव में तीन दिवसीय रामनामी मेला का हो रहा आयोजन।

जांजगीर-चांपा जाज्वल्य न्यूज़ :: जिले के मालखरौदा ब्लाक के ग्राम पिरदा में रामनामियों का भजन मेला के दूसरे दिन भी रामनाम के भजन से मेला परिसर गुंजायमान रहा। मेले में रामनामी समाज के लोग राम-राम जपते हुए रामनाम लिखे सफेद स्तंभ की परिक्रमा करते हैं।

रामनामी अपने शरीर पर रामनाम का गोदना गुदवाते हैं और मांस-मदिरा का सेवन नहीं करते। ये अनुसूचित जाति वर्ग से हैं और राम के निराकार रूप को मानते हैं। रामचरितमानस का पठन-पाठन भी करते हैं, पर मूर्तिपूजा नहीं करते। रामनामियों की संख्या पहले हजारों में थी, लेकिन अब संख्या 150 तक सिमट गई है। ये जांजगीर-चांपा के अलावा महासमुंद, बलौदाबाजार, रायपुर और रायगढ़ जिले में ही रामनामी बचे हैं।

 

मालखरौदा के ग्राम पिरदा में गुरूवार से तीन दिवसीय भजन मेला का शुभारंभ हुआ। यहां बड़ी संख्या में रामनामियों का जमावड़ा हुआ है। यह मेला शनिवार 13 नंवबर तक चलेगा। पिरदा में दूसरे दिन भी रामनाम की भक्ति में रामनामी समाज के लोग डूबे रहे। मेले में राम-राम का भजन श्रद्घा भाव से होता है। रामनामी समाज का मानना है कि राम का वास तन मन व कण-कण में है। दूसरे दिन मेले में पहले दिन की अपेक्षा अधिक भीड़ थी। मेला का केन्द्र बिन्दु जय स्तंभ होता है। जो सीमेंट का बना होता है, जिसमें काले अक्षरों में राम-राम लिखा होता है। पहले यह लकड़ी का भी बनता था। मगर समय के साथ इसमें परिवर्तन हुआ है। इस जय स्तंभ पर ही ध्वजा चढ़ाकर भजन मेला का शुभारंभ किया जाता है। मेले में भजन के साथ सामाजिक विवाह भी संपन्न होता है। यह खर्च रहित और आडंबर से दूर विवाह है। इसमें वर-वधु पक्ष को ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता। हर साल रामनामी मेला पिरदा में होता है क्योंकि भजन मेला की शुरूआत यहीं से हुई थी। इसके बाद साल में एक बड़ा भजन मेला होता है। जो एक साल महानदी के इस पार और दूसरे साल उस पार होता है। इस बार बड़ा भजन मेला जनवरी में मालखरौदा ब्लाक के ही मोहतरा में प्रस्तावित है। पिरदा के मेले में बलौदा बाजार भाठापारा जिले के जोराडीह, ओड़काकन, पंडरीपानी, मुड़वाभाठा, पेलागढ़ और जांजगीर-चांपा जिले के सुखापाली, चारपारा, पिकरीपार के अलावा रायपुर जिले के विभिन्न गांवों के रामनामी समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। मेले की खास विशेषता यह होती है कि बड़े पैमाने पर भंडारा का आयोजन होने पर भी इसमें मक्खी कहीं नजर नहीं आती। यह मेला की पवित्रता और स्वच्छता का भी प्रतीक है। मेले में मांस, मंदिरा की बिक्री प्रतिबंधित रहती है।

 

पांच प्रमुख पहचान

 

रामनामी समाज के पांच प्रमुख पहचान हैं। पहला भजन या जैतखांभ इसे जय स्तंभ भी कहते है। एक स्तंभ बड़ा होता है और उसके चारों कोने पर चार छोटे स्तंभ समान आकार के होते हैं। इन्हीं पर टिककर छत बनाई जाती है और मध्य का स्तंभ छत से भी ऊंचा होता है।जिस पर ध्वजारोहण कर मेले की शुरूवात की जाती है। इसके अलावा मोर पंख से बना मुकुट भी इनकी प्रमुख पहचान हैं। शरीर पर राम-राम का गोदना तथा रामनाम लिखा हुआ कपड़ा और पांचवा घुंघरू इनकी प्रमुख पहचान हैं। भजन करते समय रामनामी समाज के लोग सिर पर मोर पंख का मुकुट, शरीर पर राम-राम लिखा वस्त्र और पैरों में घुंघरू पहनकर राम-राम का भजन करते हैं

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