जांजगीर चांपा

2007 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर हैं उमेश व दीपमाला कश्यप, प्रशिक्षण के दौरान एक-दूसरे के आए करीब।

ट्रेनिंग में हुईं आंखें चार और।

 

दिल को भाता चला गया वर्ष 2007 में राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा में उमेश और दीपमाला कश्यप ने कामयाबी हासिल की। डीएसपी के पद पर चयनित हुए चयन के बाद रायपुर चंद्रखुरी स्थित सुभाषचंद्र बोस पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ। शुरुआती दिनों में प्रशिक्षण ऐसा कि कब सुबह से रात हो जाती थी पता ही नहीं चलता। था। धीरे-धीरे अभ्यस्त होते गए तब बैच मैट से बातचीत प्रारंभ हुई।

 

बातचीत के दौर में उनकी पहली मुलाकात दीपमाला से हुई अकादमी में थे तो स्वाभाविक रूप से ट्रेनिंग को लेकर बात शुरू हुई शुरुआत में कुछ मिनट फिर यह सिलसिला धीरे- धीरे बढ़ता गया। तकरीबन एक महीने बाद ऐसे लगने लगा कि हम दोनों के विचार काफी मिलते जुलते हैं। भविष्य को लेकर और पर परिवार के संबंध में हमारे विचार मिलने गए। विचारों का मेल कब दिल को भा गया समझ में ही नहीं आया।

 

कि मिलूंगा तो अपने दिल की बात कह ही डालूंगा। हिम्मत नहीं हो पा रही थी। यह भी सोचता था कि पता नहीं वे क्या सोने और मेरी बातों को किस अंदाज में ले। आखिरकार वह दिन भी आ गया जब मैंने अपने दिल की बात दीपमाला से कह ही दिया। उनको मौन सहमति मिलते ही मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह कहना है जशपुर में पदस्थ एडिशनल एसपी उमेश कश्यप का प्यार का प्रस्ताव और सहमति मिलने के बाद प्रशिक्षण में समय कैसे कट रहा था पता ही नहीं चल पाया समय लगाकर उड़ने लगा। नौ महीने की ट्रेनिंग हमने साथ-साथ पूरी की। इस दौरान एक दूसरे

एक दिन जब हमारी मुलाकात नहीं हुई तब एहसास हुआ कि दीपमाला के बिना कुछ अधूरा लग रहा है तब बात करने की कोशिश भी की केकी पसंद नापसंद का पूरा-पूरा ख्याल भी कारण बात नहीं हो पाई। मन का एहसास रामने रखा। डेढ़ महीने की जंगलवार की भरोसे में बदल गया। कश्मकश और ट्रेनिंग के बाद जल्द मिलने का मादा के उहापोह का दौर चलते रहा। सोचता था साथ अकादमी से घर के लिए निकले।

 

यूं मिले दिल से दिल

 

प्रशिक्षण के अंतिम दिनों में मैने दीपाला के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। उन्होंने सहज रूप से स्वीकार कर लिया। इसी दौरान हम लोगों ने यह भी तय किया कि प्रशिक्षण के बाद जब घर पहुचेंगे अच्छा माहौल देखकर स्वजन से चर्चा करेंगे अच्छी बात ये रही कि हम दोनों के स्वजन से सहजता के साथ हमारे प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

पत्नी दीपमाला के साथ एडिशनल एसपी उमेश कश्यप

 

शादी का प्रस्ताव मैंने ही रखा

 

वर्ष 2009 में हम दोनों विवाह के वचन मैं बंध गए वर्ष 2010 में हमारी पहली पोस्टिंग राजनादगांव में हुई। इसके बाद मेरा तबादला मानपुर हो गया दीपमाला राजनादगांव में ही रही। वर्ष 2010 में बिटिया रिचिता का जन्म हुआ तब दीपमाला सीएसपी थी। बिटिया छोटी थी बिटिया को संभालना उनका परवरिश करना और फिर अपनी ड्यूटी भी करना।

 

आपसी सामंजस्य से खुश हैं हम

 

एडिशनल एसपी उमेश काय बताते है कि आपसी सामंजस्य और तालमेल के कारण हम दोनों के •बीच कभी तनाव की स्थिति बनी ही नहीं। घर परिवार और प्रशासनिक कामकाज के बीच हमने कभी अपने अहम को आड़े आने नहीं दिया। यह कहने में मुझे जरा भी संकोच नहीं कि दोनों बिटिया के लालन पालन पढाई लिखाई और घर गृहस्थी का काम दीपमाला बखूबी निभा रही है। दोनों बच्चों को ही ज्यादा संभालती है। कई बार ऐसा भी हुआ जब शहर में कानून व्यवस्था की स्थिति बनी तो बिटिया को साथ लेकर ड्यूटी पर गई।

 

चौतरफा जिम्मेदारी संभालना कोई हंसी मजाक का खेल नहीं है। खुशी इस बात की है कि दीपमाला नेमा पति परिवार की पूरी जिम्मेदारी बेहद गंभीरता से तब भी निभाई और भी उसी संजीदगी के साथ निभा रही है। राजनादगांव के अलावा व जगदलपुर, रायपुर और बिलासपुर में हम साथ-साथ पदस्थ रहे।

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