टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री के नाम चार पन्ने का पत्र लिखकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री पद सौंपा इस्तीफा।

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज जांजगीर चांपा::छत्तीसगढ़ से बड़ी खबर सामने आई है। यहां पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस्तीफे की पेशकश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की है। चार पन्ने के लिखे पत्र में उन्होंने जिन बातों का जिक्र किया है, उससे स्पष्ट है कि भले ही उन्हें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का मंत्री जरूर बनाया गया है, लेकिन उनकी एक नहीं चल रही है। इन बातों से वो बेहद ही आहत है। आखिरकार वो खुद को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से अलग करने की मांग की है।




मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे अपने पत्र में टीएस सिंहदेव ने पीएम आवास योजना का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि प्रदेश में लाखों लोग आवासहीन है, जिनके लिए राशि आवंटन की मांग टीएस सिंहदेव ने की थी। लेकिन आखिरकार राशि उपलब्ध नहीं हो सकी। इसके चलते करीब आठ लाख लोगों का मकान नहीं बनाया जा सका। जबकि कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ के 36 लक्ष्य अंतर्गत ग्रामीण आवास का अधिकार प्रमुख रूप से उल्लेखित है। उन्होंने कहा है कि किसी भी विभाग की ड्रिसक्रेशनरी योजनाओं के अंतर्गत कार्यों की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के भारसाधक मंत्री का निर्धारित अधिकार है, लेकिन यहां मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना अंतर्गत कार्यों की अंतिम स्वीकृति के लिए रूल्स ऑफ बिजनेस के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित सचिवों की एक समिति गठित की गई है। यहां अंतिम निर्णय का अधिकार इसी समिति को दिया गया है, जो प्रोटोकाल के भी विपरीत है। इसके लिए समय-समय पर आपत्ति दर्ज कराई गई, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। इसके चलते 500 करोड़ से ज्यादा की राशि का उपयोग विकास कार्यों में नहीं किया जा सका। वर्तमान में पंचायतों के अनेक विकास कार्य प्रारंभ ही नहीं हो पाया।
प्रदेश में पेसा अधिनियम लागू करने का वादा जन घोषणा पत्र में किया गया था। दो साल सघन दौरा और जन संवाद करने के बाद जो प्रारूप तैयार किया गया था, लेकिन जल, जंगल, जमीन से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को बदला गया। कैबिनेट की प्रेसिका में शायद ऐसा पहली बार किया गया। भारसाधक मंत्री को भी विश्वास में नहीं लिया गया। जन घोषणा पत्र के अनुसार पंचायत प्रतिनिधियों अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू करना भी है, जिसके लिए लगातार प्रयास किया गया। किंतु अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई।
रोजगार सहायकों के वेतन वृद्धि का प्रस्ताव भी पंचायत विभाग ने वित्त विभाग को भेजा, लेकिन यह आज तक लंबित है। इस विषय में व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री से कई बार चर्चा भी हुई, लेकिन नतीजा शून्य रहा। एक साजिश के तहत रोजगार सहायकों की हड़ताल करवाकर मनरेगा के कार्यों को प्रभावित किया गया। हड़ताल के कारण 1250 करोड़ की मजदूरी भुगतान प्रभावित हुई। यही हाल सहायक परियोजना अधिकारी संविदा के स्थान पर रेग्युलर सहायक परियोजना अधिकारियों की पदस्थापना को लेकर हुई। इन सब कारणों से मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के पद से इस्तीफे की पेशकश मुख्यमंत्री से की है।











