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हरतालिका तीज पर महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत, मंदिरों में उमड़ी भीड़ – भजन, कीर्तन और पारंपरिक गीतों से गूंजा जांजगीर-चांपा

जांजगीर-चांपा : जिलेभर में हरतालिका तीज का पर्व आस्था और परंपरा के साथ धूमधाम से मनाया गया। सोमवार को तीज व्रत के अवसर पर सुबह से ही महिलाएं नए वस्त्र और पारंपरिक आभूषण पहनकर मंदिरों में पहुंचीं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की।इस दिन विवाहित महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखा। वहीं अविवाहित कन्याओं ने मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत कर माता पार्वती से आशीर्वाद मांगा।
मंदिरों में रौनक
जिले के विभिन्न शिवालयों में तीज के अवसर पर विशेष सजावट की गई थी। सुबह से ही महिलाओं की भीड़ मंदिरों में उमड़ पड़ी। जगह-जगह महिला मंडलों ने सामूहिक पूजन और भजन-कीर्तन का आयोजन किया।तीज मिलन समारोह
ग्राम और वार्ड स्तर पर महिलाओं के बीच तीज मिलन समारोह का आयोजन भी हुआ, जहां महिलाएं एकत्र होकर पारंपरिक गीतों पर झूमीं और सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। कई स्थानों पर महिलाओं ने झूला झूलकर पर्व की परंपरा को जीवंत किया।संध्या के बाद पारण पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को महिलाएं शिव-पार्वती की पुनः आरती कर कथा सुनने के बाद व्रत का पारण किया। इसके बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को तीज की शुभकामनाएं दीं और प्रसाद का वितरण हुआहरतालिका तीज पर्व ने जिलेभर में धार्मिक आस्था, पारिवारिक सौहार्द और परंपरा का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।

हरतालिका तीज व्रत नियम व विधि

व्रत का महत्व

यह व्रत भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है।

इस दिन माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था।

विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए, वहीं अविवाहित कन्याएँ मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।

व्रत नियम

1. निर्जला व्रत : इस व्रत में पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं किया जाता।

2. सज-संवर कर पूजा : महिलाएँ नए वस्त्र, श्रृंगार और पारंपरिक आभूषण पहनकर व्रत करती हैं।

3. रात्रि जागरण : व्रती महिलाओं को रातभर जागकर भजन-कीर्तन करना चाहिए।

4. कथा श्रवण : व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा सुनना अनिवार्य माना गया है।

5. व्रत का पारण : अगले दिन प्रातः ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का समापन किया जाता है।

पूजा विधि

1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. मिट्टी, बालू या रेत से शिव-पार्वती और गणेशजी की प्रतिमा बनाएं या स्थापित करें।

3. प्रतिमा पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, शक्कर से स्नान कराएं।

4. सुहाग की वस्तुएँ जैसे सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, बिछिया, वस्त्र आदि अर्पित करें।

5. धूप-दीप जलाकर भोग लगाएं और हरतालिका तीज व्रत कथा सुनें।

6. पूजा के बाद महिलाएँ भजन-कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण करती हैं।

व्रत कथा का सार

देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हिमालय पर्वत की गुफा में कठोर तपस्या की।

उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

तभी से इस व्रत की परंपरा शुरू हुई।

? विशेष ध्यान दें

यह व्रत अत्यंत कठिन माना गया है, क्योंकि इसमें दिन-भर और रातभर बिना जल-भोजन रहना पड़ता है।

जिन महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति कमजोर हो, वे केवल फलाहार या जल ग्रहण कर सकती हैं।

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