जांजगीर चांपा

कोतवाली थाने के सहायक उपनिरीक्षक- लम्बोदर सिंह बनाफर की कार्यप्रणाली से आम जनता त्रस्त।

क्या ऐसे भ्रष्ट व संवेदनहीन पुलिसवाले पर कार्यवाही करेगी भूपेश सरकार..??

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज़ ,जांजगीर चांपा।

जनता के मुद्दों पर सदैव मुखर रहने वाले समाजसेवी संत स्वामी सुरेन्द्र नाथ जी के पास महिला अपनी पीड़ा लेकर पहुँची

 

         जांजगीर के सहायक उपनिरीक्षक लंबोदर सिंह बनाफर, जांजगीर के चौक चौराहों पर आए दिन वसूली करते दिख जाते हैं, जो वसूली तक ही सीमित नहीं हैं, ये पैसों के लिए सिविल सूट भी थाने में ही निपटाने लगे हैं…!

      ये मैं नहीं कह रहा, यह लोग कह रहे हैं, हद तो तब हो गई जब इन्होंने नियमों को ताक पर रखकर एक महिला को थाने में बुलाकर उससे उसी की पैतृक संपत्ति को खाली करने की धमकी दी और उसके विरोध करने पर उससे के साथ अभद्रता की हदें पार कर दी।

      यह घटना 8 मई की है जब महिला को थाने बुलाने के लिए  बनाफर जी का फोन पर ही धमकी भरे अंदाज में फरमान जारी हुआ, भयभीत महिला जब अपने दो रिश्तेदारों व माता के साथ थाने गई तो एएसआई  बनाफर ने थाने में बैठा कर महिला से धमकी भरे स्वर में घर खाली करने को कहा।

      दरअसल मामला सिविल सूट का है, जिसमें एक परिवार ने पिता की मृत्यु के बाद पिता के घर व पर रह रही, उसकी बेटी से मकान कब्जा कराना चाहा, जिसमें मददगार बने सहायक उप निरीक्षक लंबोदर सिंह बनाफर, इन्होंने एक पुलिस वाले की वर्दी में जैसे कोई गुंडा मकान खाली करने की सुपारी ले, वैसा व्यवहार किया।

    एएसआई बनाफर ने उस महिला को थाने में बुलाकर धमकाया, महिला जब एसपी साहब के पास जाने की बात कह कर थाने से निकल गई, तो तो उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुए थाने में वापस बैठा लिया उसके साथ आए रिश्तेदारों को वह उनकी माता जी को फटकार कर बाहर निकाल दिया और लड़की से दबाव पूर्वक पत्र लिखवाया कि 30 मई तक मैं घर खाली कर दूंगी, इतना ही नहीं उस पत्र पर दबाव पूर्वक उनकी माताजी और उसके साथ आये रिश्तेदारों से हस्ताक्षर करवाया।    

        ऐसा दृश्य तो फिल्मों में ही देखने को मिलता है, लेकिन यह जांजगीर थाने की

घटित घटना है, जिसका संज्ञान थाने के निरीक्षक  लोकेश केवट को था।

     ऐसी घटनाएं केवल एक महिला के लिए ही नहीं पूरे समाज के लिए भयभीत करने वाला है, जब रक्षक ही शोषक हो जाएगा तो आम आदमी अपनी पीड़ा कहां लेकर जाए। ?

     लगता है सहायक उपनिरीक्षक बनाफर जी को वर्दी के पावर का इतना गुरूर हो गया है कि इन्होंने सारे नियमों को ताक पर रख दिया है- पहला कि किसी को बिना नोटिस के थाने में नहीं बुलाया जा सकता वह भी तब, जब व्यक्ति के खिलाफ कोई शिकायत अथवा कोई एफ आई आर दर्ज की गई हो, दूसरा महिला पुलिस की उपस्थिति में ही किसी महिला से कोई बयान लिया जाए लेकिन इन्होंने तो स्वयं ही बिना किसी महिला पुलिस कांस्टेबल की महिला को हाथ पकड़कर खींचते हुए थाने में अंदर बैठा दिया और जबरदस्ती पत्र लिखवाकर कर हस्ताक्षर करवाया, यह व्यवहार निंदनीय है।

      महिला बहुत भयभीत है उसने स्वामी सुरेंद्र नाथ जी से रोते हुए अपनी पीड़ा बताई और उसने कहा मैं स्वयं को बहुत अपमानित और असहाय महसूस कर रही हूं मैं इतनी पीड़ित हूं कि मुझे आत्महत्या करने का ख्याल आ रहा है, यदि आज मुझे कुछ हो जाए तो इसके जिम्मेदार केवल और केवल बनाफर  होंगे और थाना निरीक्षक केवट  होंगे जिन्होंने सब जानते हुए भी अनभिज्ञता दिखाई।

       स्वामी जी ने कहा है कि यह देखने वाली बात होगी की इनके ऊपर इनके उच्च अधिकारी या सरकार द्वारा क्या एक्शन लिया जाता है यदि इनके ऊपर तत्काल कार्यवाही नहीं होती तो जनता का सरकार पर भी भरोसा भी कम होगा, यह घटना जन-जन में आक्रोश भर रही है, कहीं यह आक्रोश जनांदोलन का रूप ना ले ले।

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