एसआईआर छिन लेगा मताधिकार …! विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) 2025 के 20 दिन पूरे दावा : 04 नवंबर 2025 से 04 दिसंबर 2025 के बीच बंद घरों में भी तीन बार पंहुचेंगे बीएलओ

हकीकत : कलेक्टर के संज्ञान में होने के बाद भी जिला मुख्यालय के नहरिया बाबा मुख्य मार्ग स्थित इस घर में एक बार भी नहीं पंहुचे बीएलओ
जांजगीर-चांपा। तस्वीर में नजर आ रहा यह घर ना ही पाकिस्तान में स्थित है और ना ही इस घर में विदेशी घुसपैठिए रहते हैं, यह घर कोई आजकल का बना भी नहीं है, और ना ही दूरस्थ अंचलों में ऐसी जगह बना है जहां तक पंहुचना नामुमकिन हो, छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिला मुख्यालय में वार्ड नं. 08 में नहरिया बाबा मुख्य मार्ग में नहर किनारे यह घर स्थित है जिसमें जिले के वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिंह क्षत्री अपने परिवार के साथ निवास करते हैं। इस घर में अब तक कोई बीएलओ नहीं पंहुचा जबकि एसआईआर प्रारंभ होने से पहले कलेक्टोरेट में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कलेक्टर ने कहा था कि एसआईआर के एक माह में बंद घरों में भी तीन बार बीएलओ पंहुचेंगे। यह स्थिति तब है जब पूरा मामला पहले ही कलेक्टर के संज्ञान में लाया जा चुका है।
04 नवंबर 2025 से प्रारंभ होने वाले विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के प्रारंभ होने से ठीक पहले कलेक्टोरेट जांजगीर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जिले के कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने एसआईआर के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला था। उक्त प्रेस कांफ्रेंस में जब बीएलओ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए पत्रकारों की ओर से बताया गया कि बीएलओ घर घर नहीं जाते बल्कि एक ही स्थान पर बैठकर कार्य को अंजाम देते हैं, जिसकी वजह से ही मतदाता सूची में त्रुटियां रह जाती है, तब कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने बताया था कि 04 नवंबर 2025 से 04 दिसंबर 2025 के बीच जिले के हर घर में बीएलओ घर घर पंहुचेंगे, कोई घर यदि बंद भी पाया जाता है तब भी बीएलओ तीन बार उस घर में जाएंगे। वहीं जिला मुख्यालय के वार्ड नंबर 8 में शिव मंदिर के पास, नहर किनारे, नहरिया बाबा मुख्य मार्ग में स्थित वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिंह क्षत्री के घर में एसआईआर प्रारंभ होने के 15 दिवस के भीतर भी जब कोई बीएलओ नहीं पंहुचे तब उन्होंने 19 नवंबर 2025 की सुबह 10.17 बजे मैसेज के माध्यम से इसकी जानकारी जांजगीर-चांपा कलेक्टर जन्मेजय महोबे को दी जिसके थोड़ी देर बाद ही सुबह 11.38 बजे तहसील आफिस जांजगीर के कर्मचारी उज्जवल तिवारी ने फोन कर उनका इपीक नंबर लिया वहीं एसआईआर प्रारंभ हुए 20 दिन हो जाने के बाद भी अब तक उक्त निवास पर आज तक बीएलओ अथवा निर्वाचन कार्य में लगा कोई भी कर्मचारी अधिकारी नहीं पंहुचा है।
उक्त प्रेस कांफ्रेंस में कलेक्टर की ओर से जानकारी दी गई की एसआईआर 2003 के मतदाता सूची को आधार मानकर की जा रही है। प्रेस कांफ्रेंस में ही जब उनसे पूछा गया कि 2003 में कोई मतदाता किसी अन्य वार्ड का निवासी हो और अभी किसी अन्य वार्ड का, अथवा मतदाता सूची में मतदाता का नाम किसी अन्य वार्ड में हो और वर्तमान मे निवास किसी अन्य वार्ड में हो, तब क्या होगा, इस पर कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने बताया था कि ऐसी स्थिति में मतदाता शिफ्टेड में आएगा और वर्तमान में मतदाता जिस पते पर रहता है वहां जब बीएलओ पंहुचेंगे तो उसे फार्म 6 और फार्म 7 भरना होगा, इससे अच्छा वह फार्म 8 भर ले जिससे कि जैसे ही उसका नाम इस वार्ड में दर्ज होगा, पुराने वार्ड अथवा पुराने स्थान की मतदाता सूची से उसका नाम आटोमेटिक डिलिट हो जाएगा।
अंतिम चुनाव तक वोट दिया, फिर कब कटा नाम ?

वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिंह क्षत्री द्वारा जब 19 नवंबर को कलेक्टर जन्मेजय महोबे को मैसेज के माध्यम से जानकारी दी गई कि वह पिछले 15 वर्षो से (वर्तमान में भी) अपने परिवार के साथ जिस घर में रह रहे हैं वह जांजगीर में नहरिया बाबा मुख्य मार्ग में नहर किनारे, वार्ड नंबर 8 में शिव मंदिर के पास मौजूद है जहां आज तक कोई बीएलओ नहीं पंहुचा है जिसकी वजह से उनका नाम अभी भी वार्ड नं. 16 के मतदाता सूची में मौजूद है। उनका संयुक्त परिवार वाला घर है, जिसमें हमेशा कोई ना कोई मौजूद रहते हैं, लेकिन एसआईआर के 15 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक बीएलओ नहीं पंहुचा, उसके थोड़ी देर बाद ही तहसील कार्यालय जांजगीर से उज्जवल तिवारी का फोन आया जिसने उनके वार्ड नंबर 16 स्थित पुराने मकान की जानकारी ली कि वो वार्ड नंबर 16 में पहले कहां पर रहते थे, जब उन्हें बताया गया कि उनके घर के पास में ही रहते थे। तब उनका कहना था कि बीएलओ का कहना है कि उनका नाम तो वार्ड नंबर 16 के मतदाता सूची से कट गया है। इस पर वरिष्ठ पत्रकार राजेश सिंह क्षत्री द्वारा उन्हें बताया गया कि इतने सालों तक तो उनका नाम वार्ड नंबर 16 की मतदाता सूची में था और अब तक हुए सभी चुनावों में वो अपने मताधिकार का प्रयोग करते आए हैं। 2023 में हुए विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपना वोट डाला है, उसके बाद सबसे अंत में हुए नगरीय निकाय चुनाव में भी उन्होंने अपने मताधिकार का उपयोग किया है, उसके बाद तो कोई चुनाव नहीं हुआ है, अब कलेक्टर को मैसेज करने के बाद उनका नाम बीएलओ ने काट दिया हो वह अलग बात है। इस पर उज्जवल तिवारी ने उनसे इपिक नंबर मांगा, इपिक नंबर लेनेे के बाद उनकी ओर से फिर संपर्क नहीं किया गया।

जब एक-दो साल पहले आने वाले अधिकारी जिले के मतदाता तो मैं क्यों नहीं …. ?
मामले के संबंध में राजेश सिंह क्षत्री कहते हैं कि हमारे देश का संविधान 18 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिक को मत देने का अधिकार प्रदान करता है, एसआईआर के बाद भी एक दो साल पहले जिले में आने वाले कलेक्टर, एसपी, एसडीएम, तहसीलदार आदि सभी जिले के मतदाता रहेंगे तो मैं क्यों मताधिकार से वंचित रहूंगा, जबकि मेरा पूरा जीवन ही यहीं बीत गया, 2003 की मतदाता सूची में भी यहीं मेरा नाम दर्ज है। वार्ड नं. 16 का बीएलओ इस वार्ड में ये नहीं रहते कहकर नाम काट देगा, वार्ड नं. 08 का बीएलओ अपने पास मौजूद मतदाता सूची में मेरा नाम नहीं है कहकर गणना पत्रक नहीं देगा, जिला निर्वाचन अधिकारी के संज्ञान में मामला लाए जाने के बाद भी जवाबदारों के कानों पर जूं नहीं रेंगेगी तब तो एसआईआर मेरा मताधिकार ही छिन लेगा।











