जांजगीर चांपा
Trending

नशा से बर्बादी

जांजगीर-चांपा जिला कभी अवैध कच्ची महुआ शराब के अंधकार में डूबा हुआ था। यह धंधा सबरिया समाज के लिए आय का साधन तो बना, लेकिन इसके साथ ही महिलाओं के आँसू, बच्चों का बिगड़ता भविष्य और पूरे परिवार की बर्बादी की कहानी भी लिखता गया।

शराब की लत ने कई घरों की खुशियाँ छीन लीं। परिवार चलाने का सपना लिए पुरुष शराब बनाने-बेचने में लगे रहे, लेकिन परिणाम में नशे में अपराध, दुर्घटनाएँ, घरेलू कलह, जेल की सलाखें और ग़रीबी ही मिली। समाज का हर तबका इसकी मार झेल रहा था। यह स्थिति किसी साइलेंट नक्सल से कम नहीं थी, जिसने धीरे-धीरे पूरे समाज की जड़ें खोखली कर दीं।

? SP विजय पाण्डेय का संकल्प

जिले के पुलिस अधीक्षक विजय पाण्डेय ने इस दर्द को करीब से देखा और इसे मिटाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने सबरिया समाज के लोगों से कहा – “महुआ शराब केवल ज़हर है, यह आपके बच्चों की मुस्कान और आपके परिवार का भविष्य दोनों छीन लेती है।”

नक्सल क्षेत्र में काम करने के अनुभव का उपयोग कर उन्होंने ग्रामीणों को समझाया कि शराब का धंधा न केवल अवैध है, बल्कि यह अपनी पीढ़ियों को बर्बादी की राह पर धकेलने जैसा है।

विजय पाण्डेय, पुलिस अधीक्षक, जांजगीर चांपा

? बदलाव की ओर कदम

अब सैकड़ों ग्रामीणों ने शराब छोड़कर आत्मनिर्भरता की राह पकड़ी है। उन्हें मछली पालन, मशरूम उत्पादन, बकरी पालन और अन्य स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा गया है। प्रशिक्षण और भ्रमण से उन्हें यह दिखाया गया कि मेहनत और ईमानदार रोज़गार से भी घर-परिवार को बेहतर सहारा दिया जा सकता है।

 

? समाज में उम्मीद की किरण

सबरिया समाज अब खुद मान रहा है कि शराब जैसी बुराई से छुटकारा पाकर ही उनका भविष्य सुरक्षित हो सकता है। वर्षों से जिस शराब ने उनके घरों की रौनक छीनी थी, अब उसी से मुक्ति उन्हें मुख्यधारा और सम्मानजनक जीवन की ओर ले जाएगी।

सबरिया समाज के मुखिया

Back to top button