Wednesday, April 24, 2024
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर में सुनवाई परसा कोल ब्लॉक केस में पेड़ों की कटाई को लेकर कोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज:: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर ने परसा कोल ब्लॉक केस में अहम सुनवाई की है.
कोर्ट ने परसा में आधी रात को पेड़ों की कटाई पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है. राज्य सरकार को पेड़ों की कटाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ स्टे आवेदन पर अगली सुनवाई के लिए चार मई की तारीख तय की गई है.

एक लाख पेड़ों को काटे जाने का खतरा: परसा कोल ब्लॉक मामले में लगी याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई. इस याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया गया कि करीब एक लाख से अधिक पेड़ों को काटे जाने का खतरा है. इस याचिका के तहत यह भी बताया गया कि 37 सरकारी कंपनी के नाम पर ब्लॉक लेकर निजी कंपनी अडानी को खदान सौंपा गया है. इस खदान में काम रुकवाने के लिए दिए गए आवेदन पर अब चार मई को सुनवाई होगी.

स्टे के विषय पर चार मई को होगी सुनवाई: आज याचिका के तहत लगाये गये स्टे आवेदन और संशोधन आवेदन पर बहस होनी थी. लेकिन चीफ जस्टिस की खण्डपीठ के उपलब्ध न होने के कारण यह मामला जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चन्द्रवंशी की खण्डपीठ में सुनवाई के लिए भेजा गया. सुनवाई के दौरान बताता गया कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के नाम पर भूमि अधिग्रहण कर अडानी की स्वामित्व वाली कंपनी राजस्थान कॉलरी को भूमि सौंपी जा रही है.
पेड़ों की कटाई पर तुरंत रोक लगाने की मांग: यह स्वयं कोल बेयरिंग एक्ट के प्रावधानों एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये कोल ब्लॉक जजमेंट के विरूद्ध है.लिहाजा परसा कोल ब्लॉक से संबंधित कोई भी कार्य आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. इस कारण पेड़ों की कटाई पर भी तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए. खण्डपीठ ने कहा कि अधिग्रहण को दी गई चुनौती एक गम्भीर विषय है और इसके समाप्त होने पर वन्य एवं पर्यावरण अनुमतियां अपने आप प्रभावहीन हो जायेगी. खण्डपीठ ने राज्य सरकार को पेड़ों की कटाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.

पेड़ों की कटाई पर तुरंत रोक लगाने की मांग: यह स्वयं कोल बेयरिंग एक्ट के प्रावधानों एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये कोल ब्लॉक जजमेंट के विरूद्ध है.लिहाजा परसा कोल ब्लॉक से संबंधित कोई भी कार्य आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. इस कारण पेड़ों की कटाई पर भी तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए. खण्डपीठ ने कहा कि अधिग्रहण को दी गई चुनौती एक गम्भीर विषय है और इसके समाप्त होने पर वन्य एवं पर्यावरण अनुमतियां अपने आप प्रभावहीन हो जायेगी. खण्डपीठ ने राज्य सरकार को पेड़ों की कटाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

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