24 साल और 9 वर्षो से अधूरे रेल्वे ओवर ब्रिज के निर्माण से नहीं जुड़ सके जांजगीर से चांपा।
ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज जांजगीर चांपा:: आज भी घंटो भर इंतजार करने राहगीर मजबूर लेकीन कछुआ गति नहीं बढ़ पाया रफ्तार खोखसा ओवरब्रिज को पूरा करने काम में गति नहीं आ रही है। पहले अप्रैल 2022 तक आरओबी के पूर्ण होने का दावा विभागीय अधिकारी कर रहे थे मगर अब अप्रैल 2023 तक भी सभी गर्डर लांच होने की संभावना नहीं दिख रही है।जांजगीर-चांपा से इस बीच सक्ती अलग जिला बन गया मगर इस जिले का चांपा ओवरब्रिज केअभाव मेंअब तक जांजगीर से सही ढंग से नहीं जुड़ सका। अब तक आरओबी में मात्र दो गर्डर ही लांच हुए हैं।
जिला मुख्यालय जांजगीर मेंखोखसा फाटक के पास बन रहे ओवरब्रिज के निर्माण की गति फिर
धीमी हो गई है। खोखसा आरओबी में गर्डर लाचिंग के लिए 6 दिसंबर 2021 को पहला ब्लाक लिया गया था। इस दौरान लाचिंग नोज को एक से दूसरे छोर पर जोड़ा गया था ताकि ब्रिज के ऊपर बनाए गए क्रांकीट गर्डर को लांच किया जा सके। बीतेअप्रैल माह में आरओबी में पहला गर्डर लांच किया गया था। कई माह बाद दूसरा गर्डर लांच किया गया। अभी चार गर्डर और लांच करना है। इनमें से क्रांकीट के दो गर्डर बना ही नहीं है। इसे बनाने के लिए आरओबी के ऊपर जगह भी नहीं है क्योंकि पहले से ही यहां दोनों छोर में एक-एक क्रांकीट गर्डर बनकर रखा हुआ है। जब तक इनकी रेलवे ट्रेक के ऊपर लाचिंग नहीं हो जाती तब तक ब्रिज के ऊपर दो नए क्रांकीट गर्डर बनाने जगह नहीं मिल पा रही है। ऊपर में बने चार क्रांकीट के गर्डर लाचिंग होने के बाद ही जाकर दो और गर्डर बनना शुरु हो जाएगा। क्रांकीट के दो गर्डर बनाने में ही तीन से चार माह लगेंगे। ऐसे में इस वर्ष तो किसी भी स्थिति में ओवरब्रिज के शुरू होने की उम्मीद नहीं हैं। ऐसे में जांजगीर, चांपा आवागमन में परेशानी हो रही है। आठ से अधिक समय बीत जाने के बाद भी एक आरओबी तैयार नहीं हो सका। इस दौरान जिले में सात कलेक्टर बदल गए। सभी समय-समय पर आदेश निर्देश देते रहेऔर शीघ्र आरओबी निर्माण का जुमला भी चलता रहा। मुख्यमंत्री के अलावा स्थानीय विधायक व सांसद भी रेल मंत्री से मुलाकात और पत्र लिखकर आरओबी के शीघ्र निर्माण का आग्रह कर चुके हैं। ज्यादातर ट्रेने भी अभी रद्द हैं। इसके बाद भी गर्डर लांचिंग के लिए ब्लाक मिलने में विलंब हो रहा है।
ब्रिज के ऊपर ही बनेगा क्रांकीट गर्डर
दरअसल विशालकाय क्रांकीट गर्डर को स्लाइड कर ही लांच किया जा सकता है। ऐसे में रेलवे के पास इन्हें ब्रिज के ऊपर बनाने के सिवाल दूसरा कोई विकल्प नहीं है कि इसे कहीं और जगह बनाकर ब्रिज के ऊपर चढ़ाया जा सके। इसीलिए क्रांकीट गर्डर को ब्रिज के दोनों छोर के किनारे ही बनाया गया है। अधिकारियों की माने तो चार में से दोनों छोर से एक-एक क्रांकीट गर्डर भी लांच हो जाता है तो ब्रिज के ऊपर दो और क्रांकीट गर्डर बनाने जगह मिल जाएगी व काम शुरु कर दिया जाएगा।
छह में चार क्रांकीट गर्डर ही तैयार
गर्डर लांचिंग के लिए लांचिंग नोज लगाने के बाद दो गर्डर लांच हो चुके हैं। ब्रिज को जोड़ने के लिए कुल छह क्रांकीट के गर्डर लांच होने हैं। जिसमें से चार गर्डर तो बनकर तैयार हो चुके हैं। दो क्रांकीट के गर्डर और बनना बाकी है जिसे बनाने के लिए ब्रिज के ऊपर अभी जगह नहीं है। चार में से दो गर्डर लाचिंग हो जाने के बाद शेष बचे दो गर्डर भी बनाने की तैयारी हैमगर काम में गति नहीं आ रही है।