राव घाट रेल परियोजना भू अर्जन घोटाले में हाई कोर्ट का फैसला, रिटायर आईएएस समेत 10 तत्कालीन अधिकारियों पर गिरी गाज।

जाज्वल्य न्यूज़ छत्तीसगढ़:: रावघाट रेल परियोजना में हुए घोटाले के मामले में हाई कोर्ट का फैसला आया है. घोटाले में शामिल बस्तर के तत्कालीन अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी समेत 10 लोगों पर FIR हुई है.
छत्तीसगढ़ के बस्तर को राजधानी रायपुर से जोड़ने के लिए सरकार की बहुचर्चित राजघाट रेल परियोजना में भू अर्जन घोटाले मामले में हाई कोर्ट का फैसला आया है. न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास ने 98 पन्नों के अपने आदेश में भू अर्जन की कार्रवाई को निरस्त कर दिया है. साथ ही 6 महीने के अंदर नई मुआवजा राशि की गणना करने बस्तर कलेक्टर को निर्देशित किया है. वहीं भू-स्वामियों को पूर्व में दी गई मुआवजा राशि लौटानी पड़ेगी. भू-अर्जन घोटाले में शामिल बस्तर के तत्कालीन अपर कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी समेत 10 लोगों पर FIR हुई है. इनके FIR रद्द करने करने के लिए की गई अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है और संबंधित थाने में सभी आरोपियों को महीने में एक दिन उपस्थित होना अनिवार्य होगा.
क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक साल 2018 में जगदलपुर से रावघाट तक 140 किलोमीटर रेलमार्ग विस्तार के लिए बस्तर जिले में भू अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें कई ग्रामीणों की जमीन इसमें आ रही थी. इस मामले में भू माफियाओं का कारनामा भी देखने को मिला था. अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर ग्रामीण इलाकों की भूमि को डायवर्टेड बता कर कमर्शियल दर पर मुआवजा लिया गया था और करोड़ो रुपये की मुआवजे की राशि में बदरबांट की गई. मामले के उजागर होने के बाद बस्तर के तत्कालीन कलेक्टर अय्याज तंबोली ने जांच के लिए SIT टीम का गठन किया था और इस मामले की गंभीरता से जांच करवाई गई थी और जांच में इस पूरे मामले का खुलासा हुआ था.
इन लोगों पर हुआ FIR
बस्तर के तत्कालीन अपर कलेक्टर हीरालाल नायक, SDM सियाराम कुर्रे, तहसीलदार दीनदयाल मंडावी, उप पंजीयक लिपिक कौशल ठाकुर, RI अर्जुन श्रीवास्तव समेत सुरेश बी मिताली, ए आर मूर्ति, बली नागवंशी और नीलिमा टीवी रवि के खिलाफ जगदलपुर कोतवाली में भादवि की धारा 109, 120बी, 420, 467, 486, 471, 406, 407, 408, 409 के तहत अपराध दर्ज करवाया गया था. इनके FIR रद्द करने की अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.
ऐसे की थी जमीन की हेराफेरी
दरअसल रेल मार्ग के विस्तार के लिए लगभग 40 से ज्यादा किसानों की जमीन अधिग्रहित की जानी थी. लेकिन अधिकारियों ने मुआवजा वितरण में मिलीभगत किया और धरमपुरा-पल्ली गांव के बीच स्थित दो लोगों की 3.73 हेक्टेयर भूमि का मुआवजा 95.82 करोड़ भुगतान कर दिया था. इनमें से एक बली नागवंशी को 70.62 करोड़ और नीलिमा टीवी रवि को 25.18 करोड़ का भुगतान किया गया था और अन्य लोगों को सामान्य तौर को मुआवजा दिया गया था. जगदलपुर से रावघाट तक रेल मार्ग का निर्माण बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा किया जा रहा है, साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार, NMDC सेल और इरकॉन की भी हिस्सेदारी है. इस पूरे घोटाले में रेलवे के दो अधिकारी भी शामिल हैं. फिलहाल हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद षड्यंत्रकारियों में खलबली मची हुई है.











