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पेड़ की जड़ों ने थामे सकोरे, पंक्षियों के भूख प्यास से बचाने दीपक ने बांधे थे सकोरे ।

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज जांजगीर चांपा::प्रकृति से सीखिए दूसरों को मुसीबत में थाम्हें रखने व साथ देने की कला। मतलब व स्वार्थ भरे इस संसार में प्रकृति हमें निश्वार्थ जीवन जीने की प्रेरणा देती है।
कहते हैं कि किसी के दिये गए जीवन का उपकार हम कभी नही चुका सकते लेकिन थोडा सा मदद , अपनापन और प्यार दिखाकर हम उसका सम्मान जरूर कर सकते हैं। जिससे कि दूसरों की मदद करने का जो क्रम है वह बना रहे।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सभी पेड़ – पौधे चाहे वह वन में उगें या कहि भी सभी में पंछियों का मत्वपूर्ण योगदान है। या यूं कहें कि प्रकृति की सुंदरता व हरियाली में पक्षी एक विशेष भूमिका निभाते हैं और प्रकृति – पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन में पंछियों की बहुत ही खास सहयोग है। बस यही कारण है कि युवा दीपक तिवारी ने जिस मिटटी के पात्र को बरगद पेड़ पर कुछ महीने पहले बांधा था जो रस्सी धूप बारिश में सड़कर टूट गई । लेकिन जिस बरगद की टहनी पर यह मिटटी का पात्र लगा था , उसकी जड़ों ने उसे थाम्हें रखा। क्योंकि वह पेड़ जानता है कि वह एक छोटे से बीज से अंकुरित होकर आज विशालकाय बरगद का वृक्ष बना उनका श्रेय कहि न कही इन मूक पंछियों के पूर्वजों को जाता है। जिस पंछी ने बरगद के उस बीज को वहाँ पहुचाया और पेड़ को उस जगह पर एक नया जीवन दिया ,उस पंछी के दाने पानी के उस पात्र को उसने गिरने नही दिया और रस्सी टूट जाने के बावजूद बरगद के जड़ ने उस मिटटी के पात्र को पंछी के दाने पानी के लिए थामे रखा।

दीपक पेशे से एक बैंक कर्मचारी है । और बचपन से ही समाज सेवा का जुनून लिए लोकहित में लगे हुए हैं। बेटी शिक्षा, सुरक्षा, सम्मान, व कन्या भ्रूण हत्या पर समाज को जागरूक करने अभियान चलाते हैं । उनकी लिखी पुस्तक ”अनमोल बेटियां” का विमोचन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने किया था । तिलई के युवा समाज सेवक लेखक व पक्षी संरक्षक दीपक तिवारी पिछले 12 वर्षों से अधिक से समाज सेवा का कार्य करते आ रहे हैं जिसमे वह पंछी पर्यावरण संरक्षण , बेटी शिक्षा सुरक्षा व समाजिक जागरूकता का कार्य करते आ रहे हैं। प्रत्येक गर्मी में दीपक आस पास के खेत तालाब किनारे व अन्य सूखे जगहों पर मिटटी के पात्र पेड़ो पर नरियल के रस्सी के सहारे बांधते हैं। और उनमें दाना पानी पंछियों को भूख प्यास से बचाने के लिए रखते हैं ताकि गर्मी में पंछियों की मृत्यु न हो। और साथ ही लोगों अभियान जोड़ने व संरक्षण व जागरूकता की दिशा में कार्य करने और प्रेरित करने के लिए निशुल्क मिटटी के सकोरे दाने के पैकेट पाम्पलेट व लकड़ी के कलरफुल घोसले का वितरण दीपक स्वयं के जेब खर्च से करते हैं।

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