पंचायत मंत्री की घोषणा हवाहवाई जिला पंचायत सीईओ सहित 15 अधिकारी-कर्मचारियों पर गिरी थी निलंबन की गाज।

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज जांजगीर चांपा:: पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव के फरमान का जिले में धज्जियां उड़ रहा है। पंचायत मंत्री ने बीते 21 मार्च को एक घोषणा की थी, जिसमें जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र सिंह ठाकुर सहित 15 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई शामिल थी। इन पर मनरेगा घोटाले का गंभीर आरोप है। इस घोषणा को करीब डेढ़ माह बीत गए हैं, फिर भी पंचायत मंत्री की घोषणा पर अमल नहीं हो सका है। मसलन, जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र सिंह ठाकुर यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो ने ध्यान आकर्षण के जरिए गोरेला-पेंड्रा-मरवाही में हुए मनरेगा घोटाले का मामला उठाया था। उनका कहना था कि मरवाही वन मंडल के ग्राम चुकतीपानी, टाड़पथरा, पकरिया, केंवची, पंड़वनिया और तराईगांव में पुलिया और स्टापडैम का निर्माण कराना था। इन गांवों में 33 काम के लिए सामग्री की राशि निकालकर गबन कर लिया गया, जबकि कोई काम नहीं हुआ। खास बात यह है कि गोरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर की जांच में यह साबित भी हो गया है, फिर भी कार्रवाई अधर में है। इस पर पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र सिंह ठाकुर सहित 15 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन कार्रवाई की घोषणा की थी। इस घोषणा को करीब डेढ़ माह हो गए हैं, लेकिन फिर भी इस पर अमल नहीं हो सका है। इसे लेकर लोगों के मन में सवाल उठना लाजिमी है कि निलंबन कार्रवाई की घोषणा के बाद भी आखिर क्यों जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र सिंह ठाकुर यहां जमे हुए हैं। लोगों का कहना है कि पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने कार्रवाई की घोषणा कर वाहवाही तो बटोरी, लेकिन बाद में सब टाय-टाय फीस हो गया। इसे लेकर पूरे प्रदेश में चर्चा का बाजार गर्म है।
बिलासपुर सीईओ थे ठाकुर
आपकों बता दें कि कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गजेन्द्र सिंह ठाकुर उस समय बिलासपुर में जिला पंचायत सीईओ थे और उनके कार्यकाल में ही गड़बड़ी हुई थी। कलेक्टर की जांच में भी जिला पंचायत सीईओ की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। प्राथमिक जांच में दोषी दिख रहे अधिकारी-कर्मचारियों को इस घोटाले का जिम्मेदार मानकर कार्रवाई की गई। सीईओ के महज आठ माह के कार्यकाल में ये गड़बड़ी हुई थी।
शासन से करें सवाल
इस पूरे मामले में हमनें जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र सिंह ठाकुर से भी बात की, तो उनका कहना है कि यह मामला शासन स्तर का है। इसलिए सवाल भी शासन से किया जाना चाहिए। उनके पास इस संबंध में निलंबन कार्रवाई जैसा अब तक कोई आदेश नहीं आया है।
बनेगा अवमानना का मामला
इस पूरे मामले में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत से जब मीडिया ने सवाल किया तो उनका कहना था कि फिलहाल अभी कार्रवाई पर अमल नहीं होना विधानसभा का अवमानना नहीं है, लेकिन थोड़ा विलंब और होता है तो अवमानना का मामला बनेगा। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि इस मामले को लेकर अधिकारियों से भी बात की गई है, तो उनका कहना है कि मामले की फाइल पंचायत मंत्री को भेज दी गई है।










