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सिविल सर्जन के आदेश को आंख दिखाकर अभी भी सरकारी एंबुलेंस के माध्यम से लगातार चल रहा कमीशन खोरी का खेल।

कैलाश कश्यप जांजगीर-चांपा:: जाज्वल्य न्यूज ने जब जिला अस्पताल परिसर में निजी एंबुलेंस का जमा होकर मरीजों को झांसा देकर निजी अस्पताल से कमीशन कर खेल को लेकर खबर प्रकाशन किया था,जिस पर सिविल सर्जन द्वारा त्वरित संज्ञान लेते हुए,आदेश निकाल कर सभी निजी एंबुलेंस को अस्पताल परिसर से बाहर का रास्ता दिखा दिया। कार्यवाही के एक सप्ताह भी नही हो पाया है और इस आदेश को दरकिनार कर सरकारी ड्राईवर द्वारा धूल खा रहे सरकारी एंबुलेंस को कमाई का नया हथियार बना लिया सरकारी ड्राईवर विजय थवाईत को मुनाफाखोरी का नशा इस कदर चढ़ा है कि वह निजी कमाई के लिए सरकारी एंबुलेंस का खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है।

सिविल सर्जन के आदेश का उड़ रहा धज्जियां।
सरकारी ड्राईवर द्वारा अस्पताल प्रबंधन के सामने ही सरकारी एंबुलेंस सहित अपने निजी एंबुलेंस में बकायदा अपना पर्सनल नम्बर चस्पा कर रखा है। जैसे मरीजों द्वारा उन नंबर पर फोन किया जाता है तो उसके द्वारा मरीजों को निजी अस्पताल ले जाकर आज भी अपना मुनाफा कमा रहा है। जबकि वह सरकारी एंबुलेंस सिर्फ सरकारी अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए उपयोग किए जाने के लिए होता है। कमाने का हथकंडा अपना रहा है,जबकि जिला अस्पताल प्रबंधन के नाक के नीचे यह काम हो रहा है। अस्पताल प्रबंधन को उसके द्वारा ठेंगा दिखाने का काम किया जाए रहा है। यह स्पष्ट है कि अस्पताल प्रबंधन चाहे जितना भी आदेश निकाल ले लेकिन उसको अपनी मोटी कमाई के लिए कोई भी आदेश निकल जाए फर्क पड़े ऐसा उम्मीद कम ही है क्योंकि अस्पताल परिसर में कई जगह पोस्टर भी लगा दिया गया है।

इस संबंध में जब सिविल सर्जन अनिल जगत से जब हमने पूछा तो उनके द्वारा कहा गया यदि इस तरह के अनैतिक कार्य किसी के द्वारा किया रहा है उस पर विधिवत कार्यवाही किया जाएगा।
जबकि इस तरह के कार्य उनके कर्मचारियों द्वारा लापारवाही पहले बार नही हो रहा है इस तरह का कारनामा करने आदि हो चूके हैं। देखने वाली बात होगी कि इस तरह से सरकारी वाहन को निजी कमाई के लिए उपयोग करने वाले के ऊपर क्या कार्यवाही होता है, या गुडफेस में मामला रफा दफा कर अभयदान दे दिया जायेगा।

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