कुर्सी के लड़ाई में पीस रहे हैं पंचायत से जुड़े सभी कर्मचारी कहीं इस बार भी असफल ना हो जाए मनरेगा अधिकारी कर्मचारी का आंदोलन।

कैलाश कश्यप जाज्वल्य न्यूज
नियमितीकरण करने को लेकर कर्मचारियों ने बेचा गोबर सरकार को भेजी गोबर की राशि 4 अप्रैल से लगातार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर प्रदेश भर के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कर्मचारियों ने 12 अप्रेल को गोठान में अपना पंजीयन कराया और 13 अप्रैल बुधवार को गौठान में पहुंचकर गोबर को बेचा।गोबर बेचकर जो राशि प्राप्त होगी उसको कि सरकार के खाते में भेजकर नियमितीकरण की मांग की जाएगी। कर्मचारियों ने कहा कि नियमितीकरण करने के लिए गोबर बेचकर जो राशि एकत्रित होगी उससे सरकार नियमितीकरण करने के बाद वेतन दे सकेगी।
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर 4 अप्रैल से कर्मचारी अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चल रहे हैं। जिससे जिले के लगभग मनरेगा के 1 हजार कार्य प्रभावित है और इन कार्यो के नही चलने से 1 लाख के करीब मजदूरों को रोजगार नही मिल पा रहा है। जिससे ग्रामीणों ने भी कर्मचारियों का समर्थन करते हुए मांगो को जायज बताया।कर्मचारियों द्वारा लगातार सरकार को नियमितीकरण करने को लेकर जनपद से लेकर जिला एवं राज्य तक अभियान चलाया जा रहा है। जनपद में जहाँ विभिन्न गतिविधियां की जा रही है तो वही ज़िला स्तर पर रैली निकालकर ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम सौंपा। राज्य स्तर पर दंतेवाड़ा से रायपुर तक दल दांडी यात्रा निकालकर नियमितीकरण की मांग की जा रही है। अब इसी कड़ी में जनपद एवं जिला में मानव श्रृंखला बनाकर नियमितीकरण की मांग की जाएगी। जिस पंचायत कर्मचारी के बलबूते प्रदेश के राज्य सरकार 12 प्रकार के राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित हुआ है आज वहीं पंचायत कर्मियों को दरकिनार कर कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहे हैं, अभी तक जिस तरह पंचायत से जुड़े कर्मचारी चाहे वह पंचायत सचिव हो या मनरेगा कर्मचारी अधिकारी बकायदा चुनाव से पहले लालच देते हुए चुनावी घोषणा ग्रेड पर वेतनमान निर्धारण नियमितीकरण जैसे कई मुद्दों को शामिल किया गया था लेकिन सरकार के 3 वर्ष से ज्यादा बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाया जिससे पंचायत से जुड़े कर्मचारी अपने आप को ठगे ही महसूस कर रहे हैं।
हर जिले में अलग-अलग नियम
प्रदेश भर में अपनी 2 सूत्री मांगों को लेकर मनरेगा अधिकारी कर्मचारी संघ द्वारा अलग-अलग जिला में अलग-अलग नियमों से कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन बस्तर में दांडी यात्रा कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला गया है जबकि कई जिलों द्वारा अभी तक विरोध प्रदर्शन में निष्क्रियता ही सामने आ रहा है। अभी जांजगीर-चांपा जिला में गौठान में जाकर गोबर बेचकर सरकार के कोष में जमा कर रहे हैं।
कुर्सी की लड़ाई बना सबसे बड़ा रोड़ा

कांग्रेस सरकार के दो प्रमुख मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं पंचायत मंत्री टी एस सिंह देव की लड़ाई में पंचायत कर्मी और मनरेगा अधिकारी कर्मचारी पीस रहे हैं जिससे आने वाले समय में भी इनकी चुनावी घोषणा पूर्ण होते नजर नहीं आ रहा है। जबकि शिक्षाकर्मी के समान रूप ग्रेडपेक्षवेतन मान और नियमितीकरण करना शामिल था।
हड़ताल में असफलता का डर रहा सता हैं हड़ताल कर्मी को।

पिछले हड़ताल से लेना होगा सबक जब डेढ़ वर्ष पूर्व एक साथ पंचायत सचिव और मनरेगा अधिकारी कर्मचारी संघ का हड़ताल चल रहा था जिस के समर्थन में करारोपण अधिकारी भी कूद गए थे जिससे सरकार दहशत में नजर आ रही थी और उस वक्त मांग पूरा होने की कगार पर पहुंच गया था लेकिन ऐन वक्त पर सरकार ने संगठन के पदाधिकारी को झांसा में लेकर हड़ताल को खत्म करवाने में सफल हो गया और लिखित रूप से मुख्यमंत्री सहित पंचायत मंत्री ने आश्वासन दिया था कि 1 वर्ष के भीतर आप लोगों के मांग को पूर्ण कर दिया जाएगा लेकिन आज पर्यंत तक वह धरे के धरे रह गए जिसका सबसे बड़ा मूल कारण है संगठन के पदाधिकारी के बीच गुटबाजी का पूरे मन के साथ हड़ताल पर नहीं रहना साथ ही अधिकतर संगठन के पदाधिकारी मंत्री का करीबी होने का दुहाई देते हुए पद को हथिया लेते है लेकिन काम कराने के मामले पर पीछे ही रहते हैं और सरकार के मनसा अनुरूप हड़ताल को आनन फानन में निर्णय लेकर वापसी स्थगित करने में सहयोग प्रदान करते हैं जिससे संगठन कमजोर तो होता ही है और साथ में अपनी मांगों को पूर्ण कराने में भी असफल हो जाते हैं।











