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प्रशासन की सह पर जांजगीर और चांपा में कॉलोनाइजर एक्ट की जमीन दलाल ने उड़ा रहे धज्जियां, कृषि भूमि जमीन को बना रहें वैध कॉलोनी, कलेक्टर के आदेश को पालन कराने जांच टीम की छूट रहे पसीना।

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज जांजगीर चांपा::जिला मुख्यालय जांजगीर और चांपा शहर में कालोनाइजर एक्ट की धज्जियां उड़ रही है। प्रशासन की मेहरबानी से भूमाफिया कृषि भूमि को भी बगैर प्रक्रिया का पालन किए बेच दे रहे हैं। इन दोनों जगहों में स्थित कई भूमि रिकार्ड में खेत है, जिसमें धान का उत्पादन हो रहा है। जबकि वास्तव में उस भूमि पर इमारतें खड़ी हो गई है या हो रही है। भूमाफिया जिला प्रशासन व नगरपालिका से अनुमति लिए बगैर धड़ल्ले से कृषि भूमि की अवैध प्लाटिंग कर कालोनी विकसित कर रहे हैं। इससे जहां शासन को लाखों का नुकसान हो रहा है, वहीं जमीन व मकान खरीदने वाले लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

जिले में औद्योगिक इकाईयों की स्थापना के साथ ही जमीन के कारोबार में बेतहाशा वृद्धि हुई है। जांजगीर व चांपा शहर के मुख्य मार्ग व पुराने मोहल्लों में अब नए मकान बनाने के लिए जमीन नहीं बची है। वहीं शहर के बाहरी हिस्सों में स्थित मुख्य मार्ग से लगी जमीनों को व्यापारी व पूंजीपतियों ने खरीदकर सुरक्षित रख लिया है। इस वजह से दोनों शहरों में जमीन के लिए मारामारी हो रही है। एक दशक के भीतर दोनों शहरों के जमीन की कीमत कम से कम आठ से दस गुना बढ़ी है। इसके पीछे प्रमुख भूमिका भूमाफियाओं की है, जो प्रशासन की आंखों के सामने अवैध प्लाटिंग का कारोबार धड़ल्ले से कर रहे हैं। नगरपालिका व जिला प्रशासन से बगैर अनुमति दोनों शहरों की कृषि भूमि को प्लाट काटकर भूमाफिया मनमाने दामों में बेच रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश भूमि राजस्व रिकार्ड में अभी भी खेतीहर भूमि के रूप में दर्ज है, जबकि उन भूमियों में भूमाफियाओं ने कई मंजिला इमारतें खड़ी कर दी है। खेत को प्लाट के रूप में विकसित करने के लिए अधिकांश लोगों ने डायवर्सन नहीं कराया है, और न ही कृषि भूमि पर मकान निर्माण कराने के लिए नपा से अनुमति ली है। भूमाफियाओं के वायदे और झूठे कागाजत के फेर में फंसकर जमीन व मकान खरीदने वाले लोगों को बाद में खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। दोनों शहरों के सैकड़ों लोग डायवर्सन व एनओसी के लिए महीनों से कलेक्टोरेट व नगरपालिका दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। भूमाफियाओं के झांसे में आए लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरसना पड़ रहा है। हालांकि कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा ने अभी दोनों जगह अवैध प्लाटिंग व अवैध कालोनी की जांच व कार्रवाई के लिए टीम गठित की है। अब देखना काफी दिलचस्प होगा कि ये टीप जांच को लेकिन कितने गंभीर है।

पहले भी हुई थी जांच, बनाए गए थे 65 प्रकरण
भू-माफियाओं से जमीन खरीदने वालों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। कई जमीन खेत के बीचों-बीच है, जहां बिजली कनेक्शन, सड़क, नाली व टेपनल पहुंचने में वर्षो लगेंगे। ऐसे स्थानों में सड़क की समस्या सबसे ज्यादा है। जमीन चिन्हांकित नहीं होने की वजह से नगरपालिका सड़क निर्माण भी नहीं करा पा रही है, जिससे आवागमन में लोगों को परेशानी हो रही है। आमजन की इस समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने पहले भी भू-माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरु किया था। उस समय अवैध प्लाटिंग पर नकेल कसने के लिए प्रशासन ने आदेश जारी कर राजस्व विभाग के सभी अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदारों को अवैध प्लाटिंग करने वालों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज करते हुए सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उस समय 65 प्रकरणों में संबंधितों को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन बाद में मामला ठंडा पड़ गया था।

अधिनियम में ये प्रावधान
0 कालोनाइजर पंजीयन प्रमाण पत्र, भूमि रजिस्ट्रीकरण या ऋण पुस्तिका
0 बी-1 एवं खसरा
0 पांच साला की नकल
0 ले-आउट में प्लाट की स्थिति
0 नगरपालिका या एसडीएम से कालोनी विकास समिति की अनुमति
0 नगरीय क्षेत्रों में डायवर्सन प्रमाण पत्र
0 अन्य क्षेत्रों के लिए एसडीएम से जारी डायवर्सन पत्र

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