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निर्बाध धान खरीदी के लिए कर ली गईं पूरी तैयारी।

ब्यूरो रिर्पोट जाज्वल्य न्यूज::::प्रदेश सरकार और प्रशासन के लिए आनेवाले दिनों में बड़ी चुनौती होगी कि राज्य स्थापना दिवस पर एक नवंबर से शुरू हो रही धान खरीदी में किसानों को किसी प्रकार की समस्या न आए।फसल तैयार होने के बाद बिक्री का अवसर किसानों के लिए आमदनी का पर्व होता है। खेतों में कमरतोड़ मेहनत के बाद उसके प्रतिफल पर पूरे वर्ष का जीवन निर्भर करता है। निराशा तब होती है, जब किसानों को धान बेचने के लिए कदम-कदम पर बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

पंजीयन से लेकर टोकन कटने, धान बेचने और उसकी राशि समय पर बैंक खातों में पहुंचाने तक की जिम्मेदारी प्रशासनिक नेतृत्व की होती है। इसमें परेशानी हर वर्ष किसानों के लिए कष्टकारक बन जाती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशन पर हालांकि प्रशासन की ओर से धान खरीदी को लेकर तैयारी पूरी कर लिए जाने का दावा किया जा रहा है परंतु साफ्टवेयर लांच नहीं हो पाने के कारण गुरुवार को पूर्व परीक्षण नहीं हो पाया।राहत की बात है कि शुक्रवार को परीक्षण सफल रहा। मुख्यमंत्री की प्रत्यक्ष निगरानी के कारण यह अच्छी बात है कि प्रशासन धान खरीदी शुरू होने से पहले व्यवस्था ठीक करने के प्रयास में है। प्रदेश सरकार ने इस वर्ष 110 लाख टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है। इसके लिए प्रदेश भर से अब तक लगभग 25 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है।

31 जनवरी तक चलने वाली धान खरीदी के दौरान व्यवस्था में किसी प्रकार की कमी न रहे, इसे लेकर मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने गुरुवार को संभागायुक्तों, कलेक्टरों और विभागीय अधिकारियों की बैठक भी ली है। उन्होंने धान खरीदी केंद्रों में सफाई, पानी, बिजली, बारदाना, वर्षा से बचाव के लिए कैप कवर आदि की समुचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। इसमें प्रशासन को यह देखना होगा कि शुरुआती प्रक्रिया के तहत टोकन के लिए किसानों को परेशान न होना पड़े।निर्धारित तिथि को ही किसानों का धान खरीद लिया जाए, क्योंकि ऐसा न होने की स्थिति में दूरदराज से आए किसानों के सामने अपनी फसल की सुरक्षा की बड़ी चुनौती खड़ी हो जाती है। ऐसे में अगर वर्षा हो जाए तो परेशानी और बढ़ जाती है। तकनीकी रूप से भी किसी प्रकार की बाधा न आने पाए, इस ओर ध्यान देना होगा। बारदानों की पर्याप्त व्यवस्था कर ली जाए।

खरीदी पर राजनीति न हो, इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों को ही सतर्कता और सजगता बरतनी होगी। अगले दो दिनों में शासन-प्रशासन को पुख्ता तैयारी कर लेनी चाहिए, क्योंकि एक नवंबर से ही राज्योत्सव भी शुरू हो जाएगा। ऐसे में शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों की व्यस्तता बढ़ जाएगी। इन परिस्थितियों में धान खरीदी में यदि किसी प्रकार की बाधा आएगी तो उसे दूर करना आसान नहीं होगा।

कहा भी गया है, शुरुआत अच्छी हो तो अंत भी अच्छा होता है। आशा की जानी चाहिए कि सरकार और प्रशासनिक अमला किसानों के इस महोत्सव को सफल बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगा। सरकार कृषि प्रधान राज्य के किसानों की खुशहाली के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। ऐसे में इस उत्सव में भी कोई कमी नहीं रखेगी।

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